काव्यमाला भाग - 4 | Kavyamala Bhag - 4
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काव्यमाला ।
वृन्दारकालिमुकुटालिमिलन्मसार-
माणिक्यमञ्ञमधुपाश्चितपादपआ ।
पद्मालया करगचामरवीज्यमाना
मानाय मे भवतु सा गिरिजासमाना ॥ २१ ॥
नायाति ते हृदि दया सदयेऽपि मात-
स्यापि मे मनसि तत्कुतुकं चकास्ि ।
आलोक्य रोदनपरं तनयं न कस्याः
खान्ते समुसति सन्द्रदया नु मातु: ॥ २२ ॥
मातभेवानि शुभवाणि भवानि नम्रः
कृप्रम्वदद्धिनठिनाश्चितचश्चरीकः ।
चञ्चचराचरविचित्रचरित्रचार-
चूडेव लोकयसि मां न विलोल्डग्मि: ॥ २३ ॥
आखोक्य रोदनपरं तनय नव ख
का वा भवेन्न जननी जनिताङ्कपालिः |
रप्यपि मामपि सृदन्तमनन्तमन्तः-
फान्ताकरूपापि न कथ समुदेति मातः ॥ २४ ॥
सिद्धेश्वरि त्रिभुवनेश्वरि सिद्धसंघ-
संपूज्यपादकमले कमलायताक्षि ।
अन्वर्थतां कृतवती भवती भवानी
सर्वेषु ते मयि कुतो व्यभिचारचार: ॥ २५॥
अद्धा म्मृतं यदिह सिद्धयुधीन्द्रसंधेः
सिद्धि दधाति बहुधा बहुधाम धाम ।
गन्धर्वधुयविवुधोद्धुरसाधु सिद्धि
सिद्धेश्वरीपदयुग श्रुवमादधातु ॥ २६ ॥
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