व्यवहार शुध्दि | Vyavhaar Shuddhi

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Vyavhaar Shuddhi by श्री कृष्णदास जाजू - Shri Krishnadas Jaju

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ व्यवहार-शु द ` उपर की प्रतिज्ञाओं का विवार करने पर माम ভাবা কি दोनों संस्थाओं की प्रतिज्ञाओं में उस समय चलनेवाले अशुद्ध व्यव- हार को रोकने का विशेष यत्न है। यहाँ इतनी तफसीछ देने का यह भी एक कारण है कि अब भी, ओर भविष्य में भी, लम्बे अरसे तक, ऐसे आन्दोटनों का महत्व कम नहीं होगा । जो यह काम करना चाहें, उनको इस तफसीछ से कुछ मदद और मागे-दशन मिलेगा और ऐसा काम करने की प्रेरणा भी मिलेगी, ऐसी आशा है | ,. बम्बई-मण्डल और वर्धा-समिति का काये बम्बई-मण्डल के सदस्य करीब १०० तक बने और सहायक सदस्य उससे आधे | वर्धासमिति के करीब १०० सदस्य बने । वर्धा में एक सुविधा यह रही कि यहाँ के कंट्रोल उतने कड़े नहीं थे तथा कुछ रचनात्मक संस्थाओं के कार्यकर्तो भी सदस्य बने, जिन्हें प्रतिज्ञा निभाने में विशेष कठिनाई नहीं थी । बम्बई का काम कठिन था। वहाँ कंट्रोल के नियम बहुत कड़े थे और व्यापारी-बर्ग से भी संबंध आया | बम्बई-मण्डछ का काम अब भी चल तो रहा है, पर . उसमे परे जेखी गति नहीं रही । सन्‌ १९५१ अ बभ्बहै-मण्डल ने बहाँ एक व्यवहार-शुद्धि सप्ताह मनाया, जिसमें बम्बई के भिन्न লিল क्षेत्रों में तथा भिन्न-भिन्न स्तरों के छोगों में प्रचार किया गया। वर्धों में दो वर्षा में (?५२-/५३ में ) अधिक काम नहीं हो पाया । अधिकतर कायेकर्ता भूदान-यज्ञ के काम में लगे रहे | निकट भविष्य में शुद्ध-व्यवहार समिति के काम के लिए विशेष प्रयास होने की परि- स्थिति न देखकर उस समिति का विसजंन कर दिया गया । बम्ब ओर वधां के अलावा बाहर भी एेसा संगठन करते का कुछ थोड़ा-सा अयज्ञ जरूर हुआ, परन्तु वह उल्लेख योग्य नहीं है । बाहर के कुछ




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