श्री रत्नचन्द्र पद मुक्तावली | Shri Ratnachand Pad Muktavali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९२४ सावातक्नया साहन 6 # ৮
३५ प्रमुजी थारी चाक्रीरे - ' -
२६ प्रभुजी दीनदयाल, सेवक्र शरणे आयो
३७ रहो रहो र सांचलिया साहिब
श्र व्रीरजी.खणो
६ जिनशज्ञ सदा ही वंदिए
» श्री सीमंधर सुश“अलवेसर '
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৫৮
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६२ जिनराजजी मद्धिमा शति घणी
३ मित्या गुरः ज्ञान तणा दरिया
4४ मन सतगुर् मीन्व कदा भूलि
५ गुग्धमम कुण जग नें उपकारी
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ইহ. কান झूड़ा लाग छ& जी गुरू: उपदेश
३७ सापलिया सरत थांरी,अभ भो मन भाग प्यारी
2८ मिल्रवर जन्मिया ललना !
३६ चामा[ दे जी रा नन््द
वाणी संतगुरु की, सुणो सुणो हो भविक मन लाय
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