श्री रत्नचन्द्र पद मुक्तावली | Shri Ratnachand Pad Muktavali

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Shri Ratnachand Pad Muktavali by रत्नचन्द्रजी महाराज - Ratnachandraji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९२४ सावातक्नया साहन 6 # ৮ ३५ प्रमुजी थारी चाक्रीरे - ' - २६ प्रभुजी दीनदयाल, सेवक्र शरणे आयो ३७ रहो रहो र सांचलिया साहिब श्र व्रीरजी.खणो ६ जिनशज्ञ सदा ही वंदिए » श्री सीमंधर सुश“अलवेसर ' ০2৮ 41 ৫৮ न ६२ जिनराजजी मद्धिमा शति घणी ३ मित्या गुरः ज्ञान तणा दरिया 4४ मन सतगुर्‌ मीन्व कदा भूलि ५ गुग्धमम कुण जग नें उपकारी है. কহ ९ ५ ^. = ইহ. কান झूड़ा लाग छ& जी गुरू: उपदेश ३७ सापलिया सरत थांरी,अभ भो मन भाग प्यारी 2८ मिल्रवर जन्मिया ललना ! ३६ चामा[ दे जी रा नन्‍्द वाणी संतगुरु की, सुणो सुणो हो भविक मन लाय




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