अमृता का पुजारी | Amrata Ka Pujari

Amrata Ka Pujari by शशिकांत - Shashikant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शी आचार्यं विनयचन््र कान भण्डार, जयद्र जी मौतीलालजी शातोलाउजी गाघी दीपाड वालो की श्लोर से सादर भेद गुरु-वन्दन यो लोकेडमूत सुभव्यो, भविजन भवुक्रोदभाव हेतुस्सुसेतु-- मयांदायाल्व कतु कक्तिमल महसो भू विजेतुविजेता। मस्तान्‌ शम्तायनोद्राक्‌ , दुरित तति हुर' श्रीधर. सपतेश शोभाचन्द्रो मुनीन्द्रो गुशजलसुघल श्री घने घी-धनोऽयप्‌ ।। --करिचत्त त्वदीय गुणावुरामी ।




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