नये जीवन की ओर | Naye Jivan Ki Or

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Naye Jivan Ki Or by विमला दत्ता - Vimala Dattaशिवचंद्र दत्ता - Shivchandra Datta

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शिवचंद्र दत्ता - Shivchandra Datta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्ह ` १३ मे--“नही-नही, माजी, भला यह भी कोई भूलने को बात है 1 अच्छा ज्ञाति, तैयार हो न।'' शाति--“हां, तैयार हू 1 मे जौर णाति भिगु-गृह मे जाकर वहा का सारा प्रवध देख आये । श्राति वहा के तौर-तरीको से, मुस्करानौ सफंदपोग नसो से, चमचमति कमगें से, सेल-विन्टौनो, पालनो मे खाने के प्रबंध से अत्यत सतुप्ट हुई ।




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