नैवेद्य | Naivedya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राथेना ম্বীপটস ই निगुण, हे सवं गुणाश्रय, हे निरुपम, हे उपमामय ! है अरूप, हे स्वरूप-मय, हे शाशवत, है शान्ति-निलुय | है अज, आदि, अनादि, अनामय, हे अनन्त, है अविनाशी! हे सश्चित-आनन्द-शान-घन, द्वेत.हीन घट-धट-वासी |! है शिव, साक्षी, शुद्ध, सनातन, सर्वरहित, है सर्वाधार ! हे शुभ-मन्दिर, सुन्द्र, है शुचि, सौम्य, साम्यम ति, रहित विकार ॥ है अन्तयांमी, अन्तरतर, अमल, अचल, है भकल, अपार! है निरीह हे नर-तारायण, नित्य, निरक्षन, नव-सुकुमार !! है नव-नीरद-नील नराकृति, निराकार, है नीराकार | है समदशी, सन्त-सुखाकर, है टीकामय, प्रभु साकार | है भूमा, ই विभु, चिभुवनपति, सुरपति, मायापति, भगवान | है अनाथपति, परतित.उधारन, जन-तारन, हे दयानिधान | है दुर्की शक्ति, निराध्रयके आधेय, है दीनदयाल | हे दानी, है प्रणत-पाल, है शरणागतवत्सल, जनपाल |! है केशव, है करुणा-सागर, है कोमल अति सुहृद महान! करुणा कर मव उभय अभय चरणोमरे मुझे दीजिये स्थान | सुर-मुनि-वन्दित, कमलानन्दित, चरण-धूलि तव प्रस्तक धार ! परम सुखी हो जाऊँगा मैं, हँगा सहज भवाणव पार | = (2




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