हिन्दू कोड बिल तथा उसका उद्देशय | Hindu Kod Bil Tatha uska Udyeshay

Hindu Kod Bil Tatha uska Udyeshay  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उत्तराघिकार का एक जैसा नियम निश्चित करता है, स्त्रीधन की भिन्न श्र शियों के अनुसार स्क्रीधन के उधराधिकारियों का भेद नहीं रद्वता--समस्त स्त्रीधन एक हे आर उत्तराधिकार का नियम एक हे। | उत्तराधिकारियों के सम्बन्ध में बिल जो दूसरा परिवत्तन करना चाहता है चद्द यद्द हे कि अन्न पुत्र को भी स्न्नीघन के उत्तराधिकार पाने का एक अधिकार दिया गया है । उसे पुतन्नी के भाग से आधा भाग दिया गया है । सदस्य यह अनुभव करेंगे कि यह विज्ञ बनाते हुए और उत्तराधिकार के नियमों में परिवर्तन करते हुए यह व्यवस्था की गई है कि जब पुत्री को पिता की सम्पत्ति में आधा भाग मिल रहा है तो पुत्र को भी माता की सम्पत्ति में आधा भाग मिलेगा जिससे कि कुछ अंश में बिल का उद्दे श्य पुत्र ओर पुत्री के बीच समान स्थिति बनाये रखना है 1 स्‍त्री की जायदाद के प्रश्न के विषय में जेसा कि इस सभा के सदस्य जानते हैं कि हिन्दू कानून के अजुसार जब एक स्त्री को उत्तराधिकार सें सम्पत्ति मिलती है तो वह केवल अपने जीवन पर्यन्त ही उस सम्पत्ति की मालिक होती है | वह सम्पत्ति की आमदनी का उपभोग कर सकती है किन्तु कानूनी आवश्यकता के अतिरिक्र वह उस खारी सम्पत्ति के सम्बन्ध में ओर कुछ नहीं कर सकती | स्त्री की ऋत्यु के बाद चह सम्पत्ति उसके पति के उत्तराधिकारियों को मिल जानी चाहिए | इस विषय में भी यह बिल दो परिवतन करता है। इस बिल द्वारा यह सीमित सम्पत्ति का अधिकार पूर्ण सम्पत्ति के अधिकार सें बदल दिया जाता है, ढौक उसी प्रकार से जसे फि एक पुरुष को उत्तराधिकार मिलने पर सम्पत्ति में पूर्ण अधिकार प्राप्त होता है ओर दूसरा परिवर्तन यह है कि यह बिल विधवा के बाद सम्पत्ति के लिये दावा करने के उत्तराधिकारियों के अधिकार फो समाप्त कर देता हे ॥ इस बिल में विद्यमान उत्तराधिकार में सम्प्रति भाप्ठ करने फ खियों के अधिकारों के अधीन एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था दहेज के सम्बन्ध सें है देस सभा के सब खदस्य जानते ई कि यह दहेज केसा गर्हित मामला ই। उदाहरण के तौर पर पने माता-पिताश्रौं से दहेज या खीधन या उपहार रूप में बहुत सारी सम्पत्ति लाने पर भी लड़कियों के ,साथ फेंसी धुणा, अत्याचार ओर करता का बर्ताव किया जाता हे । मेरे विचार में इस बिल ने एक बहुत हितकर ब्यवस्था है श्र वह यह है कि विवाह के समय लड़की को जो सम्पत्ति दी जाय उसे टूस्ट सम्पत्ति समझा ४ হি




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