पौराणिक इतिहाससार | Pauranik Itihasasar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.74 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दर हद ही
पं पर
राशिकं इतिहाससार, श्प्र
: याद शरीर के:नांश होने. से कोई नग्न. होता तो सेंबही : दारीर
:. नाश, होते रहते हूं फिर नग्न क्योंकर न. हुये-यदि. त:नग्न होने
: की इच्छा रखंता हें' तो अहंस अरूं त्यागका 'छोड़दे ये दो वस्तु
: जिंस श्पानपर, नहीं हें वहां झापही . आप है और उन्हीं नग्सों
' में! .से.'एक से. भी हु और यदि तुने अपना शरीर भी जलों:
या: और ..लोक' .परछोक. की कामना लोशको न प्रा हुई
तो. इस: जक्नने. से. क्या:खाम है; नसन चही- है जो शरीर की बिं-
:'वयमानता मैं - लोक परंछोक॑ से छटजावे । भष ' घव की कथा
सुना मेरे कहने का प्रयोजन थहहै कि त अपने स्वरूप को प्रात
होवे कया के यह -सनुष्य का. दरार दुलेस हैं यादि.. नाश होगया
' तो फिर न-सिलेगा इससे इस मनुष्य तन को दुलेंभ. ज्ञानकर
:गोधविन्दजीकां सज्न कर यदि एछो कि. गोविन्द्जीका, भजन
कया है तो. गोविन्द्जी से अतिरिक्त कोई नहीं जिस परुषका
' मोविन्दजी में निश्चय है वह रनान, ध्यान, पूजन, तपेण, भोन
: जन, शुयनादि, सम्प्रण कार्यों में गोविन्द्जीही को व्यात्त सम-
कताहै यदि तुम्हारी इच्छा नरंन होने की है तो सुक्ष्म अह्दकार
को त्याग, करो और यह सम को कि न में किसी का. हूं'नः कोई
:'मेरों हैं. जन्म:मरण संक््म अद्दकार से. होता है जब: इतना ज्ञान
रास होजावेगा तब आपडही आप जन्म सरणं,से सुक्त दोजावांगे
“यदि शृंक्रा करो कि सक्ष्म अहकार कया वस्तु हे.तो समझो: कि
: सिवाय शोविन्दजो के और किल्ली को ,मातना यहीं सूक्ष्म अह-
कार है. तमको. उचित है कि इस ध्षणभंगी शरीर की:श्रीति को
क स्यार्ग 'करके 'श्रीगोविन्दजी से.जाकर मिलो; इतनी बातों: सुनकर
त्यजी बोले कि.अब: आप कुपा प्रवक' सझे घुवजी को. कथा सुना '
कि
दर इये तंत्र पराशुर जी बोले कि तुसको घुंव को कथा .सबया अया-
जन है तम.आंपी' शरीरके- आम, विष बचे हो और चाहतहो के
श
सा वंक्रो कथा सनकर, सक्त 'होजाव यह आंत डुस्तर .ह६..याद जम
“को सपा दो तो. सुमभी शव के समान दीसके हो तब मैन्रयंजीने
न
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