सचित्र पूजवली | Sachitra Poojavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साम्रेपूना । ७
॥ गल ॥
भी शान्ति जिननो कट कहि एं (ए वाल ।
भी तीरथपतिनो) कटश मनन गाड्यै सुखकर ; नर
सेत्र मण्डण दुह दिहण्टण्) भविक मम् आधार । तिह
राषराणा हरस उच्छ; थयो जग जयकार ; दिशि कुमरी
अवधि विष नाणी) ह्यो हरस अपार ॥ १ ॥ निय अमर
अमरी सङ्घ मरी, गावती गुणन्द् ; जिन जननी पापे
आय पहुती, गहकती आनन्द । हे माय ते जिनरज जायं)
शच वधायो रम्म; अम जम्म निम्मर करण कारण, करसि
सूज कम्म ॥ २ ॥ ति भूमि क्षोधन दीप द्रपन; बाय
वस्षणधार; तिहां फारेय कदी गेह भिनवर, जननी मलन-
कार । इर राखड़ी जिनपाणि बंधी) दीये इम आसीस् ।
पुगकाद काड़ो चरजनीषो, धमेदायक इस ॥ ३॥
॥ रार ( उष्वाङानी ॥
' निनरयणीजी दर दिश उजरता धर, सुभलगनेंनी
ज्योतिष चक्रते संच्रै। निन जनम्याजी जिण अवसर
माता घरे, तिण अवसरजी इन्द्रासन पिण थर हरे ॥
| ॥ इदक॥
परहरे.आसन इन्द्र चिन्ते कौन अपसर ए वन्यौ, जिन
अन्म इच्छष् काट जापी मतिहि आनन्द ऊपनो। निन सिद्ध
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