रामायणरामानुरागावली का विज्ञापन पत्र | Ramayanramanuragavali Ka Vigyapan Patra
श्रेणी : पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रामायणरामानरागावली । १५
लरकाईं ज्वानी दोउमेरी बीती वढ़ापामें नाम ने धरेवे
अपने घरपर मजन करेंगे जो मिलिहे साखेबे ३ वेदेही
शरणकह करजार रामचरण चितलेबे$(शगखेमट।५३)
बहुत दिन बाति गे मेरे प्यारे दरश नहि पायन यार त॑
स्हारे। निशिदिन सेरी आश लगी है निरखों सांम स-
कारे १ घटधट में सबके तम व्यापित जाहिए सरय कि-
नारे २ जोकोउ शरण जात प्रभुकेरी जारत पातकमारे ३
बेदेह्ठी शरणकहें करजारे काटहुपापहमारे ४ (रागबेरगिया
धनि ५४ ) नेननमे रहो रामहमारे | रोगदोष सब नाश
करो प्रभु दूरिकरों सब पापहुमारे १ पल्एक भलो न
चितसे इतनादेह भोहि मौँगन प्यारे २ जन्मनन्मके पा-
तकटाये माफकरे अवग আসি মাই ই ओषध मशि
तम्हीं हो मेरे दूरिकरों तीमुर अभिषारे ४ वेदेही शरण
कहे करजोरे हमें आश चरणन को तिहारे ५ ( राग শব
गिया धनि ५५ ) भजन कबकरिंही जन्म सिरान । यक-
प्रन बीते €इपन बीते तिसरो आय बीते नगिचान १
मरमत फिरत भोह माया में चाटत फिरत पातरि ज्यों
बान २ वारबार में तो हि सम॒ कारों सम कृत नहिंपृरुख
नादान ३ रामचरण कोमलपद उरधरि कांहेंगे बातयह
অন্ন सजान ४ वेदेही शरण कह करजोरे लागरहे च-
रणनसें ध्यान ४ ( रागभेरवी मजन ४६ ). भजुमन राम
काम सब तजरे। भरमत फिरत मसीह .मायामे घरतनहीां
यहू बातहियरे १ अबहीं तेक मूला. फिर जगृ म राग
प्राप्रतोहिं नितरहैरे २ बूढ़मये पारुष सबेथार्क अजहू
चेत मढमन मेरे-३ सुतदारा प्रिवारभ भला मतलबऊके
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