रामायणरामानुरागावली का विज्ञापन पत्र | Ramayanramanuragavali Ka Vigyapan Patra

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Ramayanramanuragavali Ka Vigyapan Patra by मंजर अवध अखबार - Manjar Awadh Akhbaar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रामायणरामानरागावली । १५ लरकाईं ज्वानी दोउमेरी बीती वढ़ापामें नाम ने धरेवे अपने घरपर मजन करेंगे जो मिलिहे साखेबे ३ वेदेही शरणकह करजार रामचरण चितलेबे$(शगखेमट।५३) बहुत दिन बाति गे मेरे प्यारे दरश नहि पायन यार त॑ स्हारे। निशिदिन सेरी आश लगी है निरखों सांम स- कारे १ घटधट में सबके तम व्यापित जाहिए सरय कि- नारे २ जोकोउ शरण जात प्रभुकेरी जारत पातकमारे ३ बेदेह्ठी शरणकहें करजारे काटहुपापहमारे ४ (रागबेरगिया धनि ५४ ) नेननमे रहो रामहमारे | रोगदोष सब नाश करो प्रभु दूरिकरों सब पापहुमारे १ पल्एक भलो न चितसे इतनादेह भोहि मौँगन प्यारे २ जन्मनन्मके पा- तकटाये माफकरे अवग আসি মাই ই ओषध मशि तम्हीं हो मेरे दूरिकरों तीमुर अभिषारे ४ वेदेही शरण कहे करजोरे हमें आश चरणन को तिहारे ५ ( राग শব गिया धनि ५५ ) भजन कबकरिंही जन्म सिरान । यक- प्रन बीते €इपन बीते तिसरो आय बीते नगिचान १ मरमत फिरत भोह माया में चाटत फिरत पातरि ज्यों बान २ वारबार में तो हि सम॒ कारों सम कृत नहिंपृरुख नादान ३ रामचरण कोमलपद उरधरि कांहेंगे बातयह অন্ন सजान ४ वेदेही शरण कह करजोरे लागरहे च- रणनसें ध्यान ४ ( रागभेरवी मजन ४६ ). भजुमन राम काम सब तजरे। भरमत फिरत मसीह .मायामे घरतनहीां यहू बातहियरे १ अबहीं तेक मूला. फिर जगृ म राग प्राप्रतोहिं नितरहैरे २ बूढ़मये पारुष सबेथार्क अजहू चेत मढमन मेरे-३ सुतदारा प्रिवारभ भला मतलबऊके




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