विश्व का इतिहास | Vishav Ka Itihas

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Vishav Ka Itihas  by व्यास गोपाल Vyas Gopal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भ्राधुनिक विश्व को भ्राधारशिला - 13 पर्वी देशों से व्यापार द्वारा धनी श्रौर समृद्ध बन चुके थे । भत्तः यहां के पू जीपतियों ते नवीन कलाक्ृतियों, भव्य प्रासादों, सुन्दर. उच्चात और फब्वारों के साथनसाथ हुन नगरीं में सांस्कृतिक प्रोत्साहन देना प्रारम्भ किया । इसके श्रतिरिक्त इटली की भौगोलिक स्थिति भी पूनर्जागरण क लिये उपयुक्त धी । जल मांगों की खोज के पूर्व _भमष्य धागर पश्चिम श्रौर पर्व देशों के व्यापार का केन्द्र था। इटली का भमध्य सागरीय-व्यापार पर एकाधिकार था। इसलिये इटली झ्ाथिक दृष्टि से सबल-था शभौर यही सबलता सांस्कृतिक उन्नति का कारण बनी । धर्म युंद्धों से लौटने वाले कई कषक, व्यापारी, सामन्त आदि इटली में बस गये प्रतः जो भ्रनुभव पभोर ज्ञान वे अपने साथ लाये उनका प्रसार उन्होंने इटली में करना प्रारम्भ किया । इसके लिए उन्हें -धनी पुरुषों, उदारवादी पोपों, रोम के पुस्तकालयों से सहयोग भी प्राप्त हश्रा। भ्रन्त में इटली के इस उन्मुक्त वातावरण में दांते श्रोर पेट्राक ने पपने साहित्य द्वारा प्रथमतः इटली मिवासियों को नवीन विचारों के प्रति प्ररित किया । इटेलियन साहित्य में नवीनता उत्पन्न करने वाला प्रथम व्यक्ति महाकवि दांते (1265--1321 ई.) था । यद्यपि दाति यूनानी भाषा श्रौर साहित्य का प्रकाण्ड ण्डित था । उसने “डिवाइन कॉमेडी” सासके महाकाव्य की रचना अ्रपत्री मातृ- भाषा “तुस्कानी” में .की थी । इस प्रकार प्रथम बार बोलचाल की भाषा का साहित्य में प्रयोग दांते द्वारा हुआ | यह तुस्कानी ही झागे चलकर इटली की साहित्यिक भापा बन गईं। दांते के पश्चात इटेलियन साहित्य को पुन:जाग्रत करने वाला-साहित्यकार पेट्राक (1304-1374 ई.) हुआ था। फ्लोरेन्स निवासी -पेट्राक 'मानववाद का पिता कहा जाता है । वह्‌ लेटिन (रोमन) झौर यूनानी साहित्य- के प्रति गहरी प्रभिरुचि रखता था और इन भापाश्नों के प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्य खोजने, संग्रहित करने तथा प्रचलित ग्रन्थों के सम्पादन में उसने अपनी सारी शक्ति लगा दी | उसने प्रपनो प्रारम्भिक रंचतएं इटालियन भाषा में लिखीं किन्तु “अपने युग की তিন भाषा का निम्न स्तर देख उसने बाद में क्लासीकल लेटिन लिखना प्रारम्भ किया पराक श्रपने सेटो मरौर गीतों के लिए प्रसिद्ध है । वेदक पर सिरो के विचा प्रोर रोमन कवि वजिल की शैली का प्रभाव था। उसने प्राचीन मृति पजक लेखकों के नाम 'फेमिलियर लेटर्स” की रचवा की जो विश्वासों के प्रति मानवन्ब्यथा की उत्कृष्ट उदाहरण है। इसी प्रकार “अफ्रीका” नामक लम्बे गीत में सीपिशों के जीवन का प्रभूतपूर्व विवरण उसके प्रकृति प्रेम को दर्शाता है ।- रह लेटित गद्य का पित्ता वोक्‍काचिश्रो (1313-1375 ई.) पेट्राक का साथी पा । उसका অমি प्रच्छा कहानी संग्रह 'दिकामरोन' है । यह सो कहानियों का पंद्रह है जो कि मध्ययुग की महान्‌ कहानियों में गिसी जाती हैं। इसनी लेखब




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