देवरानी जेठानी | Dev Rani Jethani
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)देवरानी जेठानी । (२५)
५ अच्छा वह् सव वातिं पीछे होंगी । मे जरा घूम आड |” कहकर गुरुद-
या बाहर गये ! मोतीलाक चिन्तित मनसे बैठे रह । थोड़े समय पीछे उसके
दोनो लड़के पुँचे | एक उनकी गोदमें बेठा दूसरा ক্ষন पर पहुँचा । दोनों
कृडकेका मई देखतेही मोतीखल सब अपमान भूक गये । उनका मन प्रसन्न
सा आया । आह्वदके मारे ভুক্ত उठे | इतनेमें एक दासीनें आकर उनको भी-
जानेंके लिये कहा ।
मोतीलाल भीतर चंले । दोनों लड़के भी पितांके साथ हुए । आहारादि स-
| [प्तकरके सन्ध्या समय अपनी स्रीसे ग्ि ।
| उस घ्रमे उनकी बरी श्ञाली चम्पा भी थी। राम कुमारके गृह प्रवेश करते
गरी उका यह चलने लगा--“अरे बापरे । अच्छे दामाद हो दादा | दो दिनभी
मसे नही सहा गया | पीछे ही लगे आपहुचे । क्र है जवतकर आदमीकर ररम
जगत শানুর रहता हैं तबतक वह दॉतका आदर नही जानता | अच्छा अब
त ( क्या सोचके आये हो सो कहो १ ”?
| मोती ०-'“लडकोंको विदा करानि आयां ।'' इतना सुनतेही चम्पाने धूमावती
पृ ओर लक्ष करके कहा-'“कोररे धरूमी । बतातो तेरी पोठका घाव अभी
अच्छा हुआ था नही १ ”
घमावती न मुँह सिकोड नाक चदाकर कहा-“* बताना क्या न जाने किस
मुँहसे विदा करानेकी बात आदमी कहता है शारीर्मे छान हया तो कुछ हे
नही । कोन मुँह लेकर यहां आंत बनाहै यही में विचारती हूँ । ”
मोतीलाल ने झझककर कहा-“ तेरे ऐसी बदजात खत्री हमने द्ुनियांर्म
नही देखी |”?
धुमा०- हाँ हो, हाँ | तुम स॒जात हो तम्हारी मा सुजात है तुम्हारे सब
सुजात है हम बदनात हमार सातवी बदजात छेकरिन न जाने स॒नात् बद्-
जातके घर अपने मुँहमें काली गाने क्यो आता है । ›
फिर चम्पाकी ओर लाल ভান असि करती हुईं बोली-“ देखो बहन तुम
लोंगोका दामाद आयांहै तुम लोग जाकर हँसी ख॒शी करो खबरदार हमारे सामने
मत लाइये ।?
सम्पाने हाथ मुंह चलाकर कहना शुरुअ किया-“ अरे तुम छोगोंकी हालत
देखके तो अबाक होना पड़ता है । सखी रूट करके आयीहै सो तम अभितो
डसे फुसला पोर्हाकर भुलाना चाहिये उसे खुज्ञकरके विदा करानेकी कहना
चाहिये कि आंतेही झगड़ा नाधनेलगे । क्या कुछ नज्ञा करके अयेहौ क्या {
भ
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