देवरानी जेठानी | Dev Rani Jethani

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Dev Rani Jethani  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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देवरानी जेठानी । (२५) ५ अच्छा वह्‌ सव वातिं पीछे होंगी । मे जरा घूम आड |” कहकर गुरुद- या बाहर गये ! मोतीलाक चिन्तित मनसे बैठे रह । थोड़े समय पीछे उसके दोनो लड़के पुँचे | एक उनकी गोदमें बेठा दूसरा ক্ষন पर पहुँचा । दोनों कृडकेका मई देखतेही मोतीखल सब अपमान भूक गये । उनका मन प्रसन्न सा आया । आह्वदके मारे ভুক্ত उठे | इतनेमें एक दासीनें आकर उनको भी- जानेंके लिये कहा । मोतीलाल भीतर चंले । दोनों लड़के भी पितांके साथ हुए । आहारादि स- | [प्तकरके सन्ध्या समय अपनी स्रीसे ग्ि । | उस घ्रमे उनकी बरी श्ञाली चम्पा भी थी। राम कुमारके गृह प्रवेश करते गरी उका यह चलने लगा--“अरे बापरे । अच्छे दामाद हो दादा | दो दिनभी मसे नही सहा गया | पीछे ही लगे आपहुचे । क्र है जवतकर आदमीकर ररम जगत শানুর रहता हैं तबतक वह दॉतका आदर नही जानता | अच्छा अब त ( क्या सोचके आये हो सो कहो १ ”? | मोती ०-'“लडकोंको विदा करानि आयां ।'' इतना सुनतेही चम्पाने धूमावती पृ ओर लक्ष करके कहा-'“कोररे धरूमी । बतातो तेरी पोठका घाव अभी अच्छा हुआ था नही १ ” घमावती न मुँह सिकोड नाक चदाकर कहा-“* बताना क्‍या न जाने किस मुँहसे विदा करानेकी बात आदमी कहता है शारीर्मे छान हया तो कुछ हे नही । कोन मुँह लेकर यहां आंत बनाहै यही में विचारती हूँ । ” मोतीलाल ने झझककर कहा-“ तेरे ऐसी बदजात खत्री हमने द्ुनियांर्म नही देखी |”? धुमा०- हाँ हो, हाँ | तुम स॒जात हो तम्हारी मा सुजात है तुम्हारे सब सुजात है हम बदनात हमार सातवी बदजात छेकरिन न जाने स॒नात्‌ बद्‌- जातके घर अपने मुँहमें काली गाने क्यो आता है । › फिर चम्पाकी ओर लाल ভান असि करती हुईं बोली-“ देखो बहन तुम लोंगोका दामाद आयांहै तुम लोग जाकर हँसी ख॒शी करो खबरदार हमारे सामने मत लाइये ।? सम्पाने हाथ मुंह चलाकर कहना शुरुअ किया-“ अरे तुम छोगोंकी हालत देखके तो अबाक होना पड़ता है । सखी रूट करके आयीहै सो तम अभितो डसे फुसला पोर्हाकर भुलाना चाहिये उसे खुज्ञकरके विदा करानेकी कहना चाहिये कि आंतेही झगड़ा नाधनेलगे । क्या कुछ नज्ञा करके अयेहौ क्या { भ




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