संत विनोबा | Sant Vinoba

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Sant Vinoba  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# न विद्यार्थी जीवन १३ एक दिन वह थोड़े पर बेठकर अपने खेत देखने गया। उसने एकर खेत में किसी अंग्र ज ऑकीसर का डेरा देखा । उसने अंग्र ज के नोंकर से कहा इस डे रे की यहां से उखाड़ लो नहीं तो में कल इसे उखड़वा दू गा। दूसरे दिन वह फिर आया । लेकिन डेरा उड़ा वहीं था । उसे बड़ा गुस्सा आया। उसने स्वयं डेरा उखाड़ फेंका । अंग्र ल साहव कहीं बाहर गये थे । वापिस लोटने पर जब डेरा उखड़ा हुआ देखा तो बहुत गुस्सा हुए। अधिकारियों से शिक्षायत की ` लेकर इ हुआ नहीं । विनोबा के सभी साथीं ऐसे निर्भय ये ¦ सभी ऐसे देशभक्क और साहसी थे । बहुत छोटो उम्र में ही उन्होंने ब्ह्मचारी रहने का निश्चय कर लिया ओर संयमी जीवन व्यतीत करने सगे । बात यह हुई कि उन्होंने स्वामी रामदास की दास- बोध नामक पुस्तक पढ़ी। स्वामी रामदास के विचारों और संयमी जीवन का उनपर बड़ा असर पड़ा। इस पुस्तक से त्रह्मचर्य ब्रत लेने की प्रेरणा मिली । इस समय वे १२ वर्ष के होंगे। अपने एक चचेरे भाई के साथ उन्होंने ऋ्क्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की । दोनों भाई प्रतिज्ञा में बंध गये। आगे चलकर चचेरे भाई को अपनी प्रतिज्ञा तोड़नी पड़ी लेकिन विनोशा अपने निश्चय पूरे अदल रहे । दे निश्चय करके हमेशा पूरा करते हैं।.




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