भारत मेरा घर | Bharat Mera Ghar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Bharat Mera Ghar by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१७ की सारी जाति-व्यवस्था तेज़ी से ढोली पड़ रही है। वास्तव में जात-पाँतत की व्यवस्था कानूनन समात्त हो चुकी है। फिर भी जहाँ तक नौकरों का सम्बन्ध है, हर नौकर सिर्फ अपना विद्येष प्रकार का काम ही करेगा, धोती खाना नहीं परकायेगा, रसोइया कपड़ नही घोवेगा, वटलर बगीचे का काम नही करेगा, माली खाना परोसने के काम में हाथ ही नही लगायेगा, इत्यादि । और यदि हम, जिनका आदर किया जाता था और जिनके दर्जे को ऊँचा समझा जाता था, हस्तक्षेप करते गौर कुछ काम खुद ही करते तो नौकर बुरा मानते । वे या तो यह मानते कि, हम उनके काम की आलोचना कर रहे हैं या यहु कि हम अपने को नीचा गिरा रहे है जब हम व्यक्तिगत रूप से नौकरो को ज्यादा अच्छी तरह जान गये, तव हमने उन्हे अपे ममरीकी रहन-सहन के ठन को सममभाया कि किस प्रकार अमरीका में लोग अपना अधिकाश या सारा घरेलू काम छुद ही करते हैं; किस श्रकार उन्होंने अपने घरेलू काम को आसान बनाने के लिए घरेलू काम की मशीनें बनायी हे । इसके बाद वे अच्छी तरह समझ गये क्रि हम क्‍यों अपना इतना सारा काम खुद करने पर जोर देते हैँ और आगे चल कर उन्होंने इसको बुरा मानना छोड दिया। उनमें से कुछ के लिए दूसरे घरों में इमने अच्छी नौकरियाँ खोज दी | उनमें ण्ह समझ धीरे-धीरे आयी । कुछ नौकर हमारे अमरीकी तरीकों को वास्तविक रूप में समझे वगेर केवल हमारी वातो के अम्यस्त ही हुए । एक दिन में अपने मकान के पिछवाडे वाले आँगन में, उस तरफ, कुछ नौकरों के बच्चो के साथ खेल रही थी, जहाँ वे अपने माता-पिता के साथ रहते थे। जिस ग्रेंद से हम खेल रहे थे वह उस नाली में जा गिरी, जो बाहर गली की मोरी तक गयी थी । उन छोटे बच्चो में से एक, जिसका नाम लीला था-मेंद को पकडने के लिए मेरे साथ आ गयी । तब मेने ध्यान दिया, वैसे में पहले भी कई बार देख चुकी थी, कि वह मोरी कितनी गन्दी और कीचड़ से भरी हुई थी। मेने लीला के सामने सुकाव रखा, “अगर हम इसे साफ करके उम्दा बना




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now