भगवंतराय खीची और उनके मंडल के कवि | Bhagavantaray Khichi Aur Unake Mandal Ke Kavi

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Bhagavantaray Khichi Aur Unake Mandal Ke Kavi by महेन्द्रप्रताप सिंह - Mahendrapratap Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची प्रथस श्रध्याय पृष्ठमूर्सि १-४४ ,.. विपय-प्रवेश - मण्डल शब्द का म्र श्रौर प्रबंध में इसकी साथकता-- साहित्यिकमंडल--राजनी तिक मंडल--राजनीतिक मंडल का विस्तार-- “पबुंशलखंड) सीमा-- बृंदेलखण्ड का भौगोलिक परिचय दोग्राव (प्रंतर्वेद) का भौगोलिक परिचग्र--निवासी--मंडल की वबोलियाँ--मंडल की ऐतिहामिक पृष्ठभूमि (अ्रतीतकाल से राजनैतिक चेतना को प्रवाह)-- - भ्ेगवंतराय के समय की ऐतिहासिक स्थिति (श्रौरंगजेव की आसन-नीति श्री उसकी प्रतिक्रिया) --हिन्दुओं में देशव्यापी जाएति--सांस्क्ृतिक पृष्ठ भूमि--- मं उल में मध्य देश क्री सार्वकालिक मान्यता--भगवंतराय के समय में मध्य देश की मान्यता के प्रति जागरूकता--मध्यदेश महाकाव्यों श्र महापुरुषों का लीला- स्थल रहा है--सामाजिक स्थिति--गाँव और नगर में दूरी --भगवंत राय ग्राम- संस्कृति के नायक थे--गाँवों का जीवन-म्नोत सूखा नहीं था--धामिक परि- स्थिति--हिन्दू-मुसलमानों में स्वरभाविक तनातनी-- हिन्दुओं में प्रतिक्रिया के चिक्न--त्री रभाव की हनुमत उपासना का प्रचार -साहत्यें श्रौर साहित्यकार की परिस्थितियाँ--रीतिकाल की प्रथम शताव्दी दूसरी शताब्दी से उत्कर्षपूर्णा थी--रीतिकाल का कवि सही मार्ग के लिए छुटपटाता रहा (जैसे देव )->राष्ट्रीय जागृति का कत्रि ने नेतृत्व किया--प्रकृति-- मंडल की प्रक्रति, कवि की अनुभूति उसकी भ्रप्मिव्यवित में सहायक है--संगीत--समीत की परम्परा--मुस्लिम संसर्ग की संतीत-क्षेत्र में प्रतिक्रि]। -संगीत्त-क्षेत्र की तीन पेटियाँ । ভিলীম श्रध्याय (भगवंत्तराय का चंश्ञ-परिचय श्रौर जीवनी) ৮৮৩ वंश-परिचय--खीची, चौहानों की एक भाखा--भगवंतराय के पूर्वजे गागरोण राजवंश के थे-गजसिह ने श्रसोथर वंग की नींव डाली--भगवंत्त राय के पूर्वजों का वृत्त--भगवंत राय की जीवनी---जन्मकाल का ग्रनुमान--पिता की आधिक स्थिति---प्रारम्भिक संभावनाएँ--शिक्षा-दी क्षा--प्रामाशिक जीवनी --




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