व्याख्यान वाटिका | Vyakhyan Vatika

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Vyakhyan Vatika by पं नटवरलाल के. शाह - Pt.Natvarlal K. Shah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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সু সপ मदर से सद्ांचता पहुचागा क्षाप भपता कत्तम्त समसते हैं| लें माई को आपने कपती उद्ापतः का परिद्दव दिया 2 । जितके महा से प रम्‌ सकन इत विपा । ओ अर्मासाय के क्रय झलपनी सठाभ का गियाह मे दर सकते थे, ३7३ घधोचित सहावता पहुंचाई । भागपुर पिश विधडण में मी आपने অন্তত ধন সশান আট है । पापे मामकी म सुडाम, रदश (बीस चौढ़ हब! साहू जावो ) के दो स्था्नक लादि का शी शार कराचा तपा पम श्वाक्क क কি লী मक्यड दिक्षाप्‌ । शागपुर इुतबारी का विशाक ঘি হখালক্ষ লা स्वापासताका बनबाओे में सी भापक्य बडा हिस्सा है | पांपः मारत की कोई भी बैम संध्या पूरी म होगी, शिसमे भरी पुंगलिवाजी का दान बपईच दो! হবেন সঙ্গত दाव मतिना शत्र ह्यो सहां है रये म्म होता है दि भाषमे पृक शप ংঘক্গাঁ मौ আধিক্য হছে शिवा है । सादिध्य प्रकाष्मम के किये क्ापने रपये १ ) मिकाफे हैं भिर से “मरी सर्र ५पमारा शक रहो टै, इस पसप भाप अपे शरदेव वपोकली पञ्ज श्री दैवज्री कपिजीषके लाम पि बंध सवा विमण काने के किप्‌ भरी ঈল गुर्द न्याव ष्ये १८ ) दपपे अपे उदारं रकम आदिर की है। जाषके তুল ছাল আত तो कोई गिगती ही नही है । जापफ्की दावशीकशा क्या प्रभाव भापदे सारे कुड्ठस्व पर पड़ा है। बही कारण है कि जाप कौ जमफ्त्थी भी दाव देने मै घारा है। स्वत्वर गुस्कुक को वी झुई १८) की रकस जाप दो को है। इसके शतिरिक्त बहुत श्या पु জাল भिना हैं| स्यपकी सुपृत्री सत्र मूकछीबाई ले मी झ এ 9 শনাধ মজা किये हैं । शमी ही जापने इ० 1१५ ) शमी कत्व कां जल लपती ধখ पजो ऋमताबाई के जास पर बागपुर भी पसंद को জর্জ কিনা है । सच तो पद है कि स्पातकशासी सरफाप मैं पश्च कोरि के दबार




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