आर्य्यमित्र | Aaryya Mitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
211
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६१ अगस्त १४८३ ३०
अवनि ই
बेद ज्योति का प्रभाव-
( जी (० बिहारी लाल शास्त्रों, रामपुर আল, बरेसो)
शार में जल भतुध्य का
हुआ, तथ उसको জাল
के कार्यों को विधि और परोक्ष
पदार्थों का जात कराने के लिए
जार ऋषियों के हृदय में 'बेदशान'
प्रकट किया ॥ आदि सुध्षटि मे सद
सनुस्य एक ही स्थान पर उत्पन्न
हए, बह स्थान था 'हिसासम ।
शैला कि (महाभारतः कहता है
हिमालय जिधानो न्लौ स्यातो
(फेक पावन् ।
तत्र सृष्टि समुत्पप्त ) मुसल- রী
झानो का भी यही विश्यास है। पं० बिहारीलाल शास्त्री
गुसलसातों के सहाम नेता सर इकबाल लिखते हैं ।
“जे हिमाल्य दास्तां उस बक्त को कोई सुना,
भश्वले भावमे भादमश्व दमा दामन तेरा ।'
আহাহ। बढ़ जाने से मनुष्य हिसाल्य से नोजे आकर बल्ले,
तथा कुछ दिनो मे उत्तरी भारत भतुष्यो से पथ हो गबा। इस समय
सनुध्य ध्य को क्राय बहते थे ।>व इतस से बुछ लोगो न शारत्र
व्यवस्थाओ पर ध्यान देता छोड़ दिया । २-को भायों ने अपने से अश्षग
कर (दिया। थे द्रदिण कहुरये अर्थात धोड़ हैए। भो জাল গজ
मियसों को छोश्बर भोगों से दोड गये। बुछ आब अफगानिस्ताब होते
हैए ईरान पहुंचे । पठान लोग अपने,को परतून कहते है, ण्ह वस्तुन
शरद जेब के परथ' शथ से बना | देव ते कहा है--
'पदण स क्षदिय स॒ वर्वात कटिय पके १९ हो, अपनो ब्ड कला
है हिपुण हो | अब उयो श्यो आज छीति के लोग अर देशो ने रंलते
श्ये, प्य यो अपने 'बेद शान को सुहते गये | समय समथ पर इनके
बेहाओो ने उनको आश्ार विव्तर को एकश्ता के लिए पुरतके बनाय |
छभ पुस्तकों मे भोतिकता, वेद भ्योति' की रही । किन्तु जेते प्रकार
लाल रग के शीशेमे भास बिखाई देगा, हरे रण मे हरा इसो प्रकार
उन मई पुस्तकों से उन नेताओं के विचार आ गये ।
पहली पुस्तक भो भमिल्तो है। 'अब आवेश्ता भिरूलो है, थो
अहुत कुछ ० चब टेइ से मत्तो है । कर हजरतमूसाको कितव,
हरत सुरमा, तथा हुरत दाउव को किताब, ह জজ, ভালা,
शहर को श्रातियों के ध्रमग्रथ' | कितु देद स्योति' क्षीमावश्था से
भी इनसे उसको रहो, कि तु साशतोय शोधो मे देह का प्रभाव बहुत
अधिक बना रहा। इक्षोलिए् सशार भर में को अचार हिमुमो का षडा
है, यह किशी लाति का महीं रहा है। योर्प के आ तम युद्ध मे जब
अभरीक्षण ओर इ शलेप्ट के लोगो ने जीत लिया, ठव अर्मन प्रजवो
के स्व इम दोनो देशोके लो्ोने व्यनिरार् क्वि । आदान पर
श्र अमरीका मे थिजय थाये, तथ अनरोकम शोभो नें जापानो
स्थ्रियों के साथ वुराचार किया, किन्तु विदेशों मे गए हुए भारतोय
सिपाहिधों की एक तत्सम्वस्पित शिकायत नहीं मिलतीं। जभी
पिछले दिसों, जब पाकिस्तानो मुसलमानों का अधिकार बगला देश पर
हो गया तब कोई पाकिस्तानी सिपाही ऐसा न था जिसके पास एक
बयला स्त्री न हो ।
किन्तु लूथ सारतय हेगा मे अगला मुसलसानो को पाकिस्तान बी
आधएोनता से सुश्त किया तो भारतोय सेना बहो पाच माहु रही, उप
सभय के विदेशी अद्यारो ने लिखा था कि पाकिरत नो सिपाहियो के
থাক জজ उ हे ब दी बसाया _्या था एक एक बला रत्री पाई
गहे । भारतोय सांगको न एक भी बगालोी रहो को उरहो भोनहों
छुई हुई | जिस्र समय बगालो मुसलमानों का पाकिस्तातियों से युद्ध चल
रहाभातापा रतान था प्रस्डट मुंसह्मनो से कहता बा- युझे
बराल शाहिए बगाली (गहों, बस पाविरतानियो ने शठ कर कत्ल
क्या भोर, दूसरों ओर जब पाकित्तान पर काश्मीर रक्षा कै लिए
भारतोय सेना ने बुद्ध को तेयारोी को तो सेना के सामने ज्ाश्तोय जमंल
भडारी तेना से रहते हैं---
वेटो भाज तुम्हे पाकिस्तान पर हमला करवा है। बाकिस्तान कौ
रिशयों को माता समस्या, बहिन लोर रेटी समक्षना तथा यह समझते
रहता कि टुस््टारो 'क्ो से सु दर यहाँ कोई नहीं है।' इस उपदेश का
प्रश/ण अहु था कि विसी एक शो साश्तोय ने पाकाताम की री वर
हाथ नहीं डाला । भारतीयो के समने उनके नेताओ के सशाचार के
बुध्ट লাজ ভাঙন थे। जिस सम्य शिवालो को सरेताते कहयाण गढ़
को मुसलसातों से शोता, तो सब मुश्तत्मान साथ गये । कि तु क्लिदार
बी लड़कों भोहर बानू न राग सकी | बह छप ग्यो।सेला अपने
राप्य मे आगर ज्य ডাকাত হক হক ভবভব জনুধমী অহী
को देखकर सेनापति को आश्चय हुआ । शिवाजी ने उस लडकी से कहा
कि शहदोलो लडकी ने श्व पर्दा पउटायात्य शिवा भो के मुख
ই লিক ऐसा सोध्य सिश्सत के पीछे छड़ हुए सेनापति ने
कहा किस हवया इसे सतल मे पहुंच या तय ? शिवाजी को क्रोध
आ गया तजा हेनापति को डाटे कर ढोले दय' तुम +पने शाला के चरित्र
शो गहों जाल्ते ” यह दिचार रहा हू कि छोजा बाई की ७एहुय॒द धह
यो होती हथ मैं जो इतनासु दर होता। तब्न-तर उसके करनं षर
गोशरथान को बोल पुर सिल्षया दिया गया । राहि को ज्य बह पत
के कमरे मे गये, पति मे (छा (श्थाको ते तुझसे कंसा सलक क्या शायर
गोहरबानू ने उत्तर दिया, जसा बाप बेटो के साथ करता हे । जपति ने
कहा 'काकिर शिवाक्ो ने ? लड़को ते छुरी निकाल कर अपने कलेजे
पर रबखो, तथा कहा मेरे बाप को यदि काफिर कहा तो जान देदगी।'
उसके पति के हाथ से तलबार थी उसके पति ने तलबार को জমাল
शेक क्र रहा चाहे मुझे नवाब को नोकरो छोडनी पड़, शिवाजी के
खिलाफ तलबार नहीं जलाऊगा
हिन्दू राष्ट्र को यह निमल चरित्र शिक्षा्ें किससे मिलो? सत्य
पर, धम वर, पतिव्रत पर सहनो हिन्दु नारियो स्वेच्छा से अग्नि से
कूद डो । हकोक्त र्य बन्दा वेरगो जेते शहीद, पृञ्य गुरगोवि द
लिह के पृ जेते बलिदानो, कितो जाति से दूढने से गहों मिलेंगे । यह
अचा बेद स्योति का हो है। देव ज्योति! की ये दो किरणें कितनी
रच्चकोटि को शिक्षा दे रहों हैं-
[ शेष पृष्ठ १० पर ]
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