उलटा दाँव | Ulata Danva

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दांव रद फिर से टेलीफोन की घंटी टनटना उठी । इस वार माया देवी ने स्वयं जाकर रिसीवर उठाया हलो कौन लावण्य ? क्यों री ? उधर से लावष्य बोली माँ तुम मुझे श्रभी इसी वक्त बुलाओ । पंद्रह दिन हो गये मैंने भाभी को नहीं देखा । हँसते-हंसते माया देवी वोलीं क्यों री मुंहजली तुझे भी श्रव बुलाना पड़ेगा ? वोल कव आरा रही है ? लावष्य बोली श्राज शाम को हम सब तुम्हारे यहाँ आ रहे हैं । ठीक है मैं रुप से कह दूँगी तू श्रा जाना जरूर शाम से पहले । हेमन्त के श्राफिस से लौटने का समय हो रहा था । शिवानी की दोपहर भ्रच्छी ही कट जाती है । हेमन्त की तरफ का हिस्सा जरा श्रलग सा पड़तां था श्रतः शिवानी वहाँ करीब-करीब श्रकेली रहती थी । सास रहती थी श्रपनी तरफ श्रौर उनकें साथ परछाई की तरह रहती यशोदा । घर काफी वड़ा था । नीचे का एक हिस्सा श्रासानी से किराये पर उठाया जा सकता था किन्तु यह इस घर की रीति नहीं थी इज्जत पर लगता था इससे यहाँ तो व्यय की बहुलता हो सम्मानजनक समभी जाती थी । शादी के पहले शिवानी सोचा करती थी विंद्या के बल पर वह से शिक्षिका वनकर उपार्जन कर सकती है। लेकिन शादी के वाद श्रव तो. कभी-कभी सोचती हैँ क्यों मैंने बेकार दो-दो वार एम० ए४ किया । विद्या की साथंकता तो उसके वितरण में है नहीं तो _ विद्या का मूल्य कुछ भी नहीं कुल तीन ससाह हुए हैं विवाह को किन्तु इन्हीं २१ दिनों में उसे श्रपने भविष्य की श्राखिरी सीमा स्पष्ट दिखाई देने लगी है । पति में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है--उसका पति है रूपवान गुणवान योग्य श्रौर स्वस्थ । विदेश की उच्च डिग्री है हाथ में श्रौर यथेष्ट उपार्जन ऐसा श्रादश पति व सास . ऐसा सुखी परिवार मिलना लड़की श्रपना परम सौभाग्य समभती हैं । लेकिन इसका मतलब है शिवानी सदा निष्क्रिय रहेंगी । दासी काम करेगी रसोइया खाना बनायेगा नौकर हुक्म बजायेगा गुमाश्ता खरीद-फरोख्त करेगा ड्राइवर गाड़ी चलायेगा दर्जी कपड़े सियेगा श्रौर सास श्रपने हाथों पुत्र- व की सेज सजायेगी--श्रौर शिवानी ? कुछ नहीं करना था तो शिवानी श्राघुनिक युग के अनुसार क्यों पली-पनपी ? वेकार में इतनी पढ़ाई-लिखाई क्यों की? जिस विद्या का कहीं प्रयोग न होता हो उस विद्या की सार्थकता ही क्या




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