विप्रदास | Vipradas
श्रेणी : नाटक/ Drama, पाठ्यपुस्तक / Textbook
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९० विप्रदास
साथ जाना पड़ा | और मजेकी बात यह कि माने उस दिन साफ-साफ
था कि मुझ-जेसे स्लेच्छाचारीके साथ वे वैकुण्ठ जनिको भी राजी नहीं ১
कहते हैं माग्यका परिहास, कर्यो भामी १२
বং उल्ाहनेका जवाब বা चुप रही |
छ्गा-- खैर, कुछ भी हो, तुम्हाया हुक्म न टाढूँगा भाभी,-
उन्हें निश्चिन््त रहनेको कह देना |?
सती हँस दी, बोली--“ मुझे मेजके वे निश्चिन्त ही हैं| कमरेसे बाहर
निकलते ही तुम्हारे माई साहवकी वात मेरे कानों पड़ी, वे जोरके साथ मासे
कह रहे थे, अब वेधड़क यात्राकी तैयारियाँ करो मा, जिन्हें दौत्य-कार्यमें नियुक्त
किया गया है उनके सामने भश्याजीका तर्क नहीं चलनेका | गरदन झुकाकर
मेजूर कर लेगा, तुम देख लेना |? |
सुनकर द्विजदास मारे क्रोधके क्षणमर सन्न रहकर बोला--“ नामंजूर नहीं
कैर सकता, यह जानकर ही अगर उन छोगोंने यह षड्यंत्र रचा हो कि ख्ियोंके
मनमें वेमतल्वकी उठनेवाली किसी रहरको चरितार्थ करनेका वाहन मुझे ही
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