जीवन में स्याद्वाद | Jivan Main Syadvad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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री ( १३ ) ' अदि थे न आये हो: तो वे खयं अकेले ही भोजन करने वैठ जाते थे ।.य॒ह विवेक -की-कसी है.1 अतिथि समय पर. न आवे ओर गृहपत्ति को किसी कार्य के लिए .-निवमित समय पर कहीं `; उपस्थित -होना हो, : एसी स्थिति : सें परेः भोजन -करने दैढ जाना कोई अविवेक नहीं है किन्तु रविवार-या छुट्टी.के दिनं ' आमंत्रित मित्रों की प्रतीक्षा न करना पोथी-पंडिताई-का आश्रह मात्र है । स्वास्थ्य अच्छा यौर आवश्यक गुण है किन्तु <२ वर्ष की उच्च तक जीने बाला एक अ'थराशि . का निर्माता: टॉल्सटॉय लिखता है कि जिस मनुष्य ने कभी कट. सहन नहीं किया, जो कभी बीमार नहों: हुआ, जो प्रजा লন भनिरोगी है, अमर्याद.निरो्गी है वह राक्षस है ॥ 2 06111 {10 {12.35 गर८ए९४ 5छ71९7९९, ७४1० .1195.16067 एदल 111, 2125১ 1068105,, 000 16107, 15 3.71015067, जो व्यक्ति कभी बीसार नहीं होता वह दूसरे बीमार व्यक्ति को बेदना কউ জান অন্ন है ?. इसलिए जो कवि, कहानी लेखक, या उपस्यास- [8 कार पाठक को राना चाहता. है उसे, स्वयं. रोना पडता है. चिक्र ह्तोने कहा है कि जो रोता नहीं वह, देखता भी नहीं । ( 17० 170 095 17706 ৮৪৪], 0০১,110 56९.) संसार कोई . भी 'समुप्य 'सर्वसदुगुणों, का समान - साव. से. अनुझ्लीलन, नहीं -कर. सकता ।-देश-काहू का घातावरण, आनुवंशिक संस्कार तथा पूर्व जन्म-से शास, एवं. इल जन्म से विकसित दुत्ति इन सभी सीसाओं के जरुसार : ही. वह भिन्न-भिन्न गुर्णो ५ कां अनुशीकन कर सकता है । उसकी शक्तियों के विकास से भी इसी- अ्कार कः तास्तस्य झा जाता হু । সভা লা মুহল্রাক্কহতা জলজ - सतालत ह .अतः एुक गुण;या शाक्ते की ल्यूनता या अधिकता होने पर-- उसके -प्रक्त - गुण या. शक्ति उसी प्रिमाण से कम था अधिक :होते हैं। एक इन्द्रिय के कमजोर होने .पर दूसरी अधिक वलवान्‌. होत हे } एक-के-जधिक.वर्वाच्‌ होने पर तृसरी मन्द्र हो जाती है 1 -.व्यवहारकुशलू व्यापारी पाई-पाई का हिसाव रगाकर- सम्पत्ति एकत्रित करता है | यह उसकी. विशेष कुशलरूता है -और- जगत्‌. को.-उसकी अत्यन्त आवश्यकता हैं, किन्तु. सस्मव है, कि भावुक कवि भाव-ताव- के रगड़े से पारादेत न हो.) ऐसा होते हुए भी उसकी निन्‍दा नहीं की जा. सकती-1 उसके 'पास्त एक अन्य सद्भुत शक्ति है जिसे शेली ने संवाद पागरूपन -( २२८. [0101110105-107201)999-). করা ই.। चातक के सामने “अपनी मॉग-- रखते উদ कहता है कि .त्‌ छुझे ऐसी शक्ति दे जिससे जगत्‌- सेरा .-गान उसी अकार कान लगाकर खुने जला कि तेरा गीत इस: समस्त स सुच- रहा हू. |... « 2




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