दायरे | Dayere
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
237
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपरान्त स्कूल मे भरती हुई थी और पाच वर्ष मे मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण
कर सकी थी | उन दिनो, ब्जा बताती थी कि, कभी उनकी मा, कभी
भाई उन्हे स्कूल तक छोडने और स्कूल से लेने आया करते थे। है न स्त्री
वर्ग को लिबरेशन' (वध विमोचन) की यात्रा । पग-पग करती हुई
भूमण्डल की स्त्रिया कहा से कहा पहुच गयी है ।
“आज से पचास वषं पूर्व दमिश्क के बाजारों में आल, टमाटर की
भाति सडको पर स्त्रिया बिका करती थी। और जद्दा मे स्त्रियों के दलाल
उन स्त्रियो को भेडो की भाति हाकते हुए स्थान-स्थान पर बिक्रीके निए
ले जाया करते थे ।
“इंग्लैंड में भी हाई पाक मे एक शिलिग पर स्त्री मिल जाती थी
और आज इग्लैड मे कानून हो रहा है कि गर्भपात कराने के लिए स्त्री को
केवल यह् लिखकर देना होगा किं उसकी आधिक स्थिति बच्चे पेदा
करने ओर पालन करने योग्य नही । बस डाक्टर सहज गर्भपात कर देगा ।
“मुझे याद है कि जब मै तीन वर्ष की थी तो मेरी मा ने मेरे छोटे भाई
को जन्म दिया था। मैने पूछा था, मा | यह कहा से आया है ? तो मा
का मुख लज्जा से लाल हो गया था । उसने कुछ दूसरी बात कर यह चर्चा
टाल दी थी ।
“और आज अविवाहित लडकिया और लडके परस्पर जनन-क्रिया
की बाते ऐसे करते है कि मानो, वे शतरज के खेल पर चर्चा কহ হই ই”
सखी की बाते सुन मिस खोसला के मन में अपने जीवन सम्बन्धी
विचारो पर भी सन्देह होने लगता था और वह अपने मन के भावों को
स्मरण कर अपने को पिछडी हुई लडकी अनुभव करने लगती थी ।
परन्तु जब घर पर वह अपने बहन-भाइयो को हसते-खेलते, हसी-
मजाक करते देखती थी तो उसके मन में पारिवारिक जीवन के गुणों का
अनुभव होने लगता था। उपे सिद्धं इवरी के विचारोमे कही भूल का अनु-
भव होने लगता था)
इसके अतिरिक्त जीवन-सघर्ष वी बात भी थी। उसका पिता राम-
नाथ खोसला केन्द्रीय मन्त्रालय के कृषि विभागमे सुपरिन्टेडेण्ट था । साढे
नौ सौ रुपया वेतन घर पर लाता था। घर पर खाने-पीने तथा पाच भाई
१० . दायरे
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