देश दर्शन -सितम्बर 1944 | Desh Darshan -Sept.1944

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Desh Darshan -Sept.1944 by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बलुआ पत्थर है । ऊपरी रीवां शिलाओं में विशाल बलुआ पत्थर है जो कमूर पहाड़ियों में दिखाई देता है | ऊपरी विन्ध्या की ऊपरी भाणेर शिलायें ६५० फुट मोटी हैं। निम्न भाणेर १४५० फुट मोटी है। ऊपरी रीवां शिलायें १००० फुट मोटी हैं । क्‍ निम्न विन्ध्या शिलायें ऊपरी विन्ध्या शिलाओं के नीचे हैं । यह जिले के उत्तरी-पूर्बी भाग में पाई जाती है । कटनी से कुछ दूर दक्षिण पश्चिम की ओर प्रस्तर श्रंश होने से निम्न विन्ध्या शिलायें लुप्त हो जाती हैं । इसी प्रश्तर श्रंश से- रीवा ।ओर মাহ वार शिलायें एक दूसरे से मिल गई हैं। निम्न विन्ध्या शिलाओं के अवस्थायें हैं । रोहतास अवस्था में चूने का पत्थर पाया जाता है । यह चूने का पत्थर कटनी के पास निकाला जाता है।इस लिये इसे कटनी का चूने का पत्थर कहते हैं। खें जुआ अवस्था जिले के उत्तरी-पूर्वी कोने पर खेजुआ श्रेणी के पास पाई जाती है इसमें शेल ओर बलुआ। पत्थर हे । खेंजुआ में चूने के पत्थर की पेटी है । चीनी मिट्टी जिले के उत्तरी-पूर्वी कोने पर बाढ़ी से अमरपुर तक ११ मील तक चली गई है। इसको दूसरी पेटी ४ मील उत्तर की ओर है। चीनी मिट्टी का रंग कहीं फीका और पीला कहीं कुछ काला है ।,इसको उत्पत्ति ज्वालामुखी से हुई है । इससे १ हुई बासाल अवस्था है । इसमें बलुआ ओर मिश्रित पत्थर है । धारवार | পি... 1 धारवार शिलायें जिले के मध्यवर्ती भाग में पाई जाती हैं । ( १४ )




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