विकास प्रशासन और पंचायती राज (1992-97) : इलाहाबाद जनपद | Vikas Prrashasan Aur Panchaiti Raj (1992-97) : ALLAHABAD DIST.

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Vikas Prrashasan Aur Panchaiti Raj (1992-97) : ALLAHABAD DIST. by विभा पाण्डेय - VIBHA PANDEY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पंचायती राज का इतिहास [9] इसके अधिवेशन की सूचना डुग्गी पिटवाकर दी जाती थी।* इसका एक प्रधान कार्यकारिणी समिति या पचायत का चुनाव था। 'उर' मे एकत्र सब ग्रामवासियो की राय से यह चुनाव होता था। पर इसकी प्रणाली ज्ञात नही। कार्यकारिणी का नाम “आलुगनम्‌” 'शासन समिति था, मगर इसके सदस्यो की सख्या विदित नही है| ग्राम सभा और इसकी कार्यकारिणी का सबसे अच्छा ओर विस्तृत विवरण “अग्रहार' ग्रामो के बारे मे मिलता है। यह ग्राम चिंगलीपत जिले मे अत्यन्त परिवर्तित “उत्तर मल्लूर' नाम से अभी तक विद्यमान है।* इस ग्राम का शासनकार्य ग्राम सभा की पॉच उप समितियों द्वारा होता था। सब सदस्य अवैतनिक कार्य करते थे और उनका कार्यकाल एक सा था। अनुचित कार्य करने पर वे बीच मे भी हटाये जा सकते थे। ग्राम के प्रत्येक योग्य निवासी को काम का अवसर देने के लिए यह नियम बनाया गया था कि एक बार किसी उप समिति मे रह चुकने पर पुन तीन वर्ष तक उस व्यक्ति का उक्त उपसमितियो मे अतर्माव न हो| दुश्चरित्र ओर सार्वजनिक धन का दुरूपयोग करने वाला व्यक्ति या उसके निकट सम्बन्धी सदस्यता के अधिकार से वचित कर दिये जाते थे। प्रत्येक समा अपना विधान स्वय बनाती शी! सबसे पुराने विधान का उदाहरण मानविलैनल्लूर ग्राम की महासभा का है। विधान मे सशोधन भी समा द्वारा ही किये जाते थे। कभी तो दो महीनों के अदर ही विधान सशोधन किये जाने के उदाहरण मिलते है ।* अस्तु निष्कर्ष यह है कि केन्द्रीय सरकार को केवल साधारण निरीक्षण एवं नियंत्रण का अधिकार था। इस अधिकार का उपयोग यो होता था कि कभी-कभी जिले का शासक कछ पूछताछ के लिए मुखिया को अपने दफ्तर मे बुला लेता था ओर ग्राम पचायत के साधारण प्रबन्ध ओर हिसाब किताब की जच के लिए निरीक्षक भेजे जाते थे। इसका उल्लेख चोल ॐ अल्तेकर प्राचीन भारतीय शासन पद्धति 1959 पु 173 से उद्धृत 33 ५ के ए एन शास्त्री स्टडीज इन चौल हिस्दी पू 82 “5 अल्लेकर, पा त, पपू. 174-75




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