भारतीय विपणन रणनीति | Bharatiya Vipnan Ranneeti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
ज्ञान प्रकाश वर्मा - Gyan Prakash Verma
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वी. एम. बैजल - V. M. Baijal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)9
(3) फिलिप कोटलर के अनुसार, “विपणन प्रबन्ध कार्यक्रमो का विश्लेषण, नियोजन,
क्रियान्वयन एव नियन्त्रण है। यह कार्यक्रम इस प्रकार बनाये जाते हैं कि लक्षित श्रोतागणो
मे व्यक्तिगत या पारस्परिक लाभ के उद्देश्य से इच्छित परिर्वतन लाये जा सके। यह प्रभावी
उत्तर प्राप्त करने के लिए मूल्य, सवर्द्धन, स्थान, व्यवस्था एव समन्वय पर गहरा विश्वास करता
है“ (यह परिभाषा यह व्यक्त करती है कि ¢) यह प्रवन्धकीय प्रक्रिया है और इसलिए इसमे
विश्लेषण, नियोजन, क्रियान्वयन एव नियन्त्रण शामिल किया जाता है । (11) इसका उदेश्य इच्छित
विनिमय लाना है। () यह क्रिया पारस्परिक लाम प्राप्त करने के लिए की जाती है। (1४) यह
वस्तु! मूल्य, 2 सवर्द्धन? एव स्थान के समन्वय एव सहयोग पर विशेष बल देती हे।
(4) कण्डिफ एव स्टिल की राय मे, “विपणन प्रबन्ध विपणन लक्ष्यो की प्रापि हेतु
उदेश्यपूर्ण क्रियाओ के सचालन से सम्बन्धित है|“ इनके अनुसार विपणन प्रबन्ध मे उन
क्रियाओ के सचालन के लिए कार्य किया जाता है जो लक्ष्यो की प्राप्ति के लिए की जाती]
ये क्रियाए पूर्ण निर्धारित उदेश्यो को लिए हुये होती हैँ । यह उदेश्य विक्रय परिमाण, शुद्ध लाभ
व विक्रय परिमाण एव लाभो मे वृद्धि लाते)
(5) प्रो. लाजो ओर काररेबिन ने उपभोक्ता की विचारधारा को ध्यान मे रखते हुए
विपणन प्रबन्ध की परिभाषा इस प्रकार की है-उनकी दृष्टि मे “सभी विपणन कार्यो को क्रेता
की ओर दिशा देना ओर फिर सभी प्रबन्धकीय निर्णय ग्राहको की आवश्यकताओं को ध्यान मे
रखते हुए करना ओर उन आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के उदेश्य से न्यूनतम व्यय पर अधिकतम
बिक्री करना और लाभ प्राप्त करना विपणन प्रबन्ध कहलाता है |“ (इसमे इस बात पर बल
दिया गया है कि सभी प्रबन्धकीय निर्णयों का आधार ग्राहक होता है। उसकी आवश्यकताओ
का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है तथा उन आवश्यकताओ को सन्तुष्ट कर न्यूनतम व्यय पर
अधिकतम विक्री कर लाभ कमाया जाता है|)
(6) ड. डावर के अनुसार“विपणन प्रबन्ध उपभोक्ता आवश्यकताओं को मालूम करने, उनको
वस्तुओं व सेवाओ मे बदलने ओर उसके उपरान्त वस्तु या सेवा को अन्तिम उपभोक्ता अथवा
प्रयोगकर्ता तक पहुचाने की प्रक्रिया है जो विशिष्ट ग्राहक वर्गं या वर्गो की आवश्यकताओं एव
ক]. [0000 *2 शांत्ट ३ फ्ाणंणा 4. 1120৩
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