शिक्षा मनोविज्ञान की रूपरेखा | Shikqsa Manovigyaan Kii Rooprekhaa

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Shikqsa Manovigyaan Kii Rooprekhaa by एम. एल. जैन - M. L. Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मनोविज्ञान और शिक्षा & वस्तुग्रो का रूपान्तर करते हैँ । यदि मनोविज्ञान, जो व्यवहार का अध्ययन और विवेचन है, इस काम में सहायता नहीं दे सकता तो वह वास्तव में निरथ्ंक है । परन्तु वह निरथंक नहीं हैं; पैस्टोलौजी ठीक कहता था, श्रौर उसका दूरवर्ती लक्ष्य हमारे समय में पूरा होता दिखाई देता है । अ्रध्यापक का सम्बन्ध मुख्यतः व्यवहार के रूपान्तर शर्थात्‌ परिष्करण ( 1001062४100 } से है, और उसको नवीन मनोविज्ञान से भ्रमूल्य सहायता मिल्‌ रही । शिक्षा-सिद्धान्त और मनोविज्ञान दोनों साथ-साथ उन्नति कर रहे हैं । व्यावहारिक कठिनाइयों के लिए अध्यापक मनोविज्ञान की सहायता लेता है, परन्तु साथ ही साथ वह मनोवेज्ञानिक के सामने नयी समस्याएँ रखता है, ओर इस प्रकार वह इस विज्ञान की उन्नति में सहायक है। सन्‌ १९१२ में ब्रिटिश एसोसिएशन के शिक्षा-विज्ञान विभाग के सभापति के पद से सर जान आदम्स (810 7०४४ 3१878 ) ने कहा था कि शिक्षा ने मनोविज्ञान को बाँध लिया है। कदाचित्‌ यह श्रतिशयोक्ति है जब तक कि हम शिक्षा का अर्थ अत्यन्त विस्तृत समझ कर जीवन ही न मान लें। परन्तु यहु कहना सत्य है.कि अधुनिक काल कौ वहत सी मनौ- वेज्ञानिक खोजें शिक्षा के हेतु की जा रही हैं, ओर जीवन के प्र मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तो कौ उपयोगिता को जाँचने के लिए सबसे अच्छा स्थान पाठशाला है। ग्रतएव आधुनिक शिक्षा-सम्बन्धी सिद्धान्त में मनोविज्ञान का प्रमुख स्थान है, और. इसकी देन का मुल्यांकन सहज में नहीं किया जा सकता । परन्तु इतना होते हृए भी वह्‌ सीमित हैं, क्योंकि शिक्षा में अनेक प्रइन ऐसे हैं जिनका निर्णय वह नहीं कर सकत। ये प्रन रिक्षा के उहश्यसे सम्बन्धित हं। मनौविन्ञाने का सम्बन्ध उद्द श्यों से नहीं है; यह श्स्ति विज्ञान { 0081४1१8 3016006) ই' লক্তি স্সান্হীলার্ী (302100961০১) विज्ञान अर्थात्‌




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