नौ अगस्त | Nau Agast
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इन्कृकाषं | ५
यह घीर का ही लिफाफा पर आज यह बेमोके केसे ? अभी तीन
चार दिन ही तो हुए जब उसने रुपये मंगाये थे कहीं धीर बीमार
तो नहीं हे, उसे पेपों की मरूरत तो नहीं हैं ! इस प्रकार भनेकों
शकाएँ उनके मनमें आई और विद्रोह पैदा करने छगीं। छिफाफा
खोला, धीरेन्द्र ने लिखा था---
पितानी !
आपका भेना हुआ १९० रुपये का मनीओडेर मिला । मैं
मनीऑडेर के रुपय कोट में रखकर खेल में लग गया खेल के
बाद देखा कोट ही गायब हो गया सब जगह छानबीन की
किन्तु कोई पता न चछा, मेने २-३ माह से हॉटेल का कुछ
भी नहीं चुकाया परीक्षा की फोस भी मेरे सब साथियों ने जम।
करा दी है खेद हें में जमा न करा सका, मुझे क्षमा कर पत्न को
देखते ही दो मो रुपये भेन दें नहीं तो में फोस जमा नं करा
सकूंगा ओर दो सार की मेहनत बेकार भायगी | ৯৫
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आज्ञाकारी
धीरन्द्रकु मार
पत्र को पढ़ते ही दारोगाजी जलकर खाक हो गये ओर
अन्दर ही अन्दर छगे बड़बडने............न मातम किन
मुपीबर्तो से खून का पानौ बहाकर् रुपया कमाता ह्, खुद खाता
नहीं इन्हें खिलाता हे. पर न ज्ञाने इस बीपवी प्रदी की भौलाद
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