मेरा जीवन मेरा ध्येय | Meraa Jiivan Tathaa Dhyey
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
55
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पंडित जगदीश प्रसाद व्य्यास - Pandit Jagdeesh Prasad Vyaas
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स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekanand
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मेरा ओवन तथा ध्येय
है | इन सम्प्रदायो कौ. हास का सुचके नहीं समज्ञा जा सकता, ये तो
जीवन की निशानी हैं| होने दीजिये इन सम्प्रदायों की संख्या में वृद्धि---
इतनी प्ृद्धि कि हममें से प्रत्येक व्यक्ति ही एक सम्प्रदाय हो जावे, हरएक
व्यक्ति | इस विषय को लेकर कलह काने की आवश्यकता ही क्या है।
आप अपने देश को छीजिये (किसी नुक्ताचीनी के स्यार से
नहीं ), आपके सारे सामाजिक नियम-कानून, यहाँ की राजनैतिक
संस्था, यहाँ की हरएक चीज का निर्माण, सब इसी ध्यान से बने हैं
कि मानव की इह-लौकिक यात्रा सरल्तापूर्वक सम्पन्न हो जावे | जब
तक वह जीवित है तब तक खूब सुख-चैन से जीवनं-यापन करे।
अपने राजमार्गों की ओर देखिये, कितने स्वच्छ हैं वे सब्र ! आपके
सोन्दर्यशाली नगर! और इसके अतिरिक्त वे तमाम साधन जिनसे धन
को निरन्तर द्विगुणित किया जाता है। कितने ही जीवन के सुखो-
पमोग करने के रास्ते ! पर यदि आपके देश में कोई व्यक्ति इस वृक्ष
के नीचे बैठ जावे ओर कहने लगे कि में तो यहीं पर आसन मांरकर
ध्यान छाऊँगा, परिश्रम न करूँगा, तो मुझे विश्वास - है. आप उसे
कारागृह भेज देवेंगे। उसके लिए जीवन में कोई स्थान नहीं, कोई
अवसर नहीं, कुछ भी नहीं। मनुप्य तभी इस समाज में रह सकता है
जब कि वह समाज छी र्पति में एकरस होकर काम किया करे।
आनन्दोपमोग की इस घुडदोड -मे हरएक आदमी कौ हिस्सा बैँठाना
पडता. है, . उसकी .. अच्छाइ्यो; को चखना ही उसका वेदा है--यदि
नहो तो उसे जीवित रना दुष्कर. हो जवे |
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