मोक्ष मार्ग विरोधी श्री कानजी भाई | Moksha Marg Virodhi - Shri Kanji Bhai
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| ७ ]
ब्र०* चादमल जी चूडीवाल के विस्त॒त ट्रेक्ट मे भी उनके
मन्तव्यो का सप्रमण खण्डनं है उसे देखे सपादक जैन गजट
भी उनकं' भन्तव्यो का संप्रमाण और सयुक्तिकं खण्डन
कई वर्षों से लिख रहे है।
. आओ. कानजो, भाई के मन्तव्यो को हमने उनके -ही
दब्दो मे ,लिखा है । ,उनके अभिप्राय के विरुद्ध एक ,श्रक्षर
भी नही लिखा है । उनके मन्तव्यो को भलक उनके मासि
क-पन्न (ब्रात्म धमे) मे रहतीदहै। | , ~
त्यागियों विदन शरोर समाज का श्रमिमंत
वतमान मे जितने भीं' श्रीचायं ह, 'मुनिंरोज है एेलंक-
क्षुटलक है, विदुपी आर्थिकोर्ये है; 'भद्दारके है, प्रमृख विद्वीन
हैः-श्रौरईने गिन क लोगो को छोड्केर समाज वहभौंग हैं वे
संभी श्रीकानजीभाई के मंतंज्यों को आगम॑ विरुद्ध वतल। रहे है
फिरभी श्री कानजी भोईः' और उनके 'अनु्यायी' विद्वान
विन्वीरःकरनेः के लिये तैयार नही है यह एकः बहूं श्राश्चर्ं
श्रोरखेद की तर॑ति है ~ ~; ~ 6. ०, 2
श्री कनिजी भाई और उनके अश्ुर्यायी विद्वानों से हमारा
कीई विरोघे' नही हैं किन्ते के बल सिद्धीत विरोध ह इ
लिंये यह ट्क््ट भी हमने उन पर किंचित भी “अश्रीक्षेप हप्टि
सेः नीं सिखा है।'किन्तुं दिंगस्वर जैन सिंद्धाते का लीर्प
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