मगध ( इतिहास और संस्कृति ) | Magad (Itihas Aur Sanskriti)
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६)
जरासन्ध ने मोटे-तगड़े भीम के साथ मल्ल युद्ध करना पसन्द कर
अपने वीर-मानस का परिचय दिया | चौदद दिन युद्ध हुआ | जरासन्व
चृढ़ा था। थक गया था। हाँफ रहा था | ऐसी परिस्थिति का फायदा उठा
कर युवक भीम ने श्रीकृष्ण का इशारा पाकर थके जरासन्ध को मार
-डाला । नीतिदीन जरासन्ध का वल निर्बल सिद्ध हुआ । जरासन्ध के वाद
उसका पुत्र सददेव मगध का राजा हुआ |
ब्रिम्बिसार का सगध
कुछ विद्वानों का मत है कि बाइंद्रथ वंश का अन्तिम राजा रिपुंजय
ध्या | इसका पुलिक नामक एक श्रमात्य या । पुलिक ने पडयन्वर करके
रिपुंजय को मार डाला और अपने बालक नामक पुत्र को मगध की गद्दीपर
जैठाया । इस प्रकार मगध के सिंहासन से सेव के लिये वाहद्रथ वंश का
अन्त हो गया । पर बालक का शासन ठीक से स्थापित न दो सका । मगघ
के ज्षत्रियों की श्रेणी ने वालक के शासन को स्वीकार नहीं किया। उस काल
में क्षत्रियों की, जिनमें अधिकतर से निक होते थे, अनेक ऐसी श्रेणियाँ थीं,
जिनका संगठन राज्य से सर्वथा स्वतन्त्र दोता था श्रौर जिनका
सहयोग प्राप्त करना राजा के लिये परम आवश्यक माना गया है। मगघ
के क्षत्रिय श्रेणियों ने वरालक के राज्य का विरोध किया। भट्टिय नामक
एक सरदार ने मगध में विद्रोह कराकर राज्य सिंहासन पर अधिकार कर
चालक को मरवा डाला ! पर भष्टिय स्वयं राज्य सिंहासन पर नहीं बैठा ।
उसने अपने लड़के ब्रिम्बिसार को मगथ के सिंहासन पर वैठाया | मध्य
-सेनिक दलों का नेता दी वना रदा! वाद में शायद् विम्बिसार मगघ के
राजा के साय सैनिक दलों का नेताभी हो गया] इसीलिए उते श्रेणिक
त्रिम्बिसार भी कहते हैं ।
यहीं से मगध में नाग-वंश का शासन स्थापित होता है ।. कुछ
विद्वानों का मत दै कि मगघ में सबसे पहला नाग राजा शेशुनाग है ।
'पर कुछ लोग इसे नहीं मानते । हमारा काम इस विवाद में पड़ना नहीं
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