ज्ञानदेव चिन्तनिका | Gyandev Chintnika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
886 KB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)সপ ছু ~~
मरवेह से प्राणीमात्र की प्रमपूर्मक सेवा हो सकती हू ।
उस टासकर
निर्णीय मूर्ति के दर्शनार्
दीथपें-मात्रादि करता वेठ्ठा हू )
बया उपयोग ?
दर्सन भाहिए--
तीर्षों के तीर्भरूप क्रात्माराम का--
जो ध्रृदय-मंदिर में छिपकर बैठा है ।
उसके छिए एक ही उपाय है-
हृषम-सुझि--
और निकटवर्ती जीबसूप्टि की सवा ।
उधर भ्याद न देगा
हो यही होगा
कि एसा मानव-देह पाकर मी मौका सा दिया।
२
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