ज्ञानदेव चिन्तनिका | Gyandev Chintnika

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Gyandev Chintnika by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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সপ ছু ~~ मरवेह से प्राणीमात्र की प्रमपूर्मक सेवा हो सकती हू । उस टासकर निर्णीय मूर्ति के दर्शनार् दीथपें-मात्रादि करता वेठ्ठा हू ) बया उपयोग ? दर्सन भाहिए-- तीर्षों के तीर्भरूप क्रात्माराम का-- जो ध्रृदय-मंदिर में छिपकर बैठा है । उसके छिए एक ही उपाय है- हृषम-सुझि-- और निकटवर्ती जीबसूप्टि की सवा । उधर भ्याद न देगा हो यही होगा कि एसा मानव-देह पाकर मी मौका सा दिया। २




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