हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्ययुग | Hindi Sahitya Ka Uttar Madhya Yug
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
534
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १८)
मरे गाये जाने वाले घाभिक गीतो को भी निषिद्ध घोषित कर दिया उसने मद्य
सेवन एवं वेश्या-बुत्ति पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया । औरंगजेब के इन कार्यों से
ररबार से सम्बन्धित सामन््तो एवं सामान्य जनता में भी पर्याप्त असम्तोष का
भाव फैला । औरगजेब की हिन्दू धर्म-विरोषौ नीति के कारण हिन्दू जनना
तो असन्तोष का भाव उत्पन्न हुआ दही भिन्तु राजा मौर सामन्त भी उसके विरुद्ध
हो गये । इसका परिणाम यह हुआ कि उप्ते अपने शासन काल में कभी चैन से
बैठने का अवसर नही मिला । उसे सिक्खों और भराठो से लोहा लेता पड़ा और
अन्य कई विद्रोह को दमन करने मे घन एवं सैन्य शक्ति की अपार हानि उदासी
पडी ।
औरंगजेब के उत्तराधिकारी कमजोर, विलासी और स्वार्थी थे । दरबारी
सामन््तों मे राज्य सत्ता हडपने के षपड़्यथ चलने लगे। औरणजेब की सुस्यु के
उपरात बारह वर्षों (१७०७-१६) के भीतर पाँच बादशाह दित्ली कौ गही
पर बैठे । छठे बादशाह मुहम्मदशाह का शासन काल (१७१६-४८) कुछ अधिक
समय तक रहा किन्तु उसके समय में निजाम, रुहेलों, सिक्स्ों, मराठों के युद्धों
और नादिरशाहू एवं उसके उत्तराधिकारी अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों से
राज्य सत्ता बिलकुल छिन्न-भिन्न हो गयी। अहमदशाह (१७४८-४४) गौर्
आलमग्रीर द्वितीय (१७५४-५६) नाम मात्र के बादशाह थे। उनमें न देश्ष में
आत्तरिक व्यवस्था स्थापित करने की योग्यता थी और न बाहरी आक्रमणों को
रोकने की शक्ति । आलमगीर द्वितीय के बाद तीन और मुगल सम्राट -- शाहुआलम,
(१७५८-१८०६), अकबरशाह हितीय (१८०६-३७) और बहादुर शाह
(१८३७-१७)-हूैए थे । तीनो नाम मात्र के शासक थे ।
शाहभालम अमीरो के हाथ को कठपुतली था। अमीर जो चाहते वही
उसे करना पड़ता । उसके शासनकाल में पश्चिम से अहमदशाह अब्दाली और
दक्षिण से मराठों ने कई हमले किये । शाहु आलम एक प्रकार से সহমত
अब्दाली के अधीन हो गया था | बाद में उसने अपग्रेजों से संधि कर लो और
उनंका आश्रित होकर इलाहाबाद में रहने लगा । सन् १५०६ में वह शअेंग्रेजों की
पेन खाता हुआ मरा । सन् १८५७ में जो देशव्यापी स्वतंत्रता संग्राम हुआ,
उसमे बहदुरशाह ने मी योगदान किया । बाद सें मुगलों के महलों पर. अंग्रेजों
का अधिकार हो गया । बहादुर शाह बन्दी बना कर रंगून भेज दिया गया। वहीं
सन् १०६२ में उसकी मृत्यु हो गयी ।
औरंगजेब की भृत्यु के बाद मुगल दरबार में अमीरों के ईर्ष्या-हेष के
` कारण बराबर षडयंत्र चैल स्हे + बड़े-बड़े सरदार और दरबारी तीन गुटों मे
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