हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्ययुग | Hindi Sahitya Ka Uttar Madhya Yug

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Hindi Sahitya Ka Uttar Madhya Yug by राजकिशोर पाण्डेय - Rajkishor Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १८) मरे गाये जाने वाले घाभिक गीतो को भी निषिद्ध घोषित कर दिया उसने मद्य सेवन एवं वेश्या-बुत्ति पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया । औरंगजेब के इन कार्यों से ररबार से सम्बन्धित सामन्‍्तो एवं सामान्‍य जनता में भी पर्याप्त असम्तोष का भाव फैला । औरगजेब की हिन्दू धर्म-विरोषौ नीति के कारण हिन्दू जनना तो असन्तोष का भाव उत्पन्न हुआ दही भिन्तु राजा मौर सामन्त भी उसके विरुद्ध हो गये । इसका परिणाम यह हुआ कि उप्ते अपने शासन काल में कभी चैन से बैठने का अवसर नही मिला । उसे सिक्खों और भराठो से लोहा लेता पड़ा और अन्य कई विद्रोह को दमन करने मे घन एवं सैन्य शक्ति की अपार हानि उदासी पडी । औरंगजेब के उत्तराधिकारी कमजोर, विलासी और स्वार्थी थे । दरबारी सामन्‍्तों मे राज्य सत्ता हडपने के षपड़्यथ चलने लगे। औरणजेब की सुस्यु के उपरात बारह वर्षों (१७०७-१६) के भीतर पाँच बादशाह दित्ली कौ गही पर बैठे । छठे बादशाह मुहम्मदशाह का शासन काल (१७१६-४८) कुछ अधिक समय तक रहा किन्तु उसके समय में निजाम, रुहेलों, सिक्‍स्ों, मराठों के युद्धों और नादिरशाहू एवं उसके उत्तराधिकारी अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों से राज्य सत्ता बिलकुल छिन्न-भिन्न हो गयी। अहमदशाह (१७४८-४४) गौर्‌ आलमग्रीर द्वितीय (१७५४-५६) नाम मात्र के बादशाह थे। उनमें न देश्ष में आत्तरिक व्यवस्था स्थापित करने की योग्यता थी और न बाहरी आक्रमणों को रोकने की शक्ति । आलमगीर द्वितीय के बाद तीन और मुगल सम्राट -- शाहुआलम, (१७५८-१८०६), अकबरशाह हितीय (१८०६-३७) और बहादुर शाह (१८३७-१७)-हूैए थे । तीनो नाम मात्र के शासक थे । शाहभालम अमीरो के हाथ को कठपुतली था। अमीर जो चाहते वही उसे करना पड़ता । उसके शासनकाल में पश्चिम से अहमदशाह अब्दाली और दक्षिण से मराठों ने कई हमले किये । शाहु आलम एक प्रकार से সহমত अब्दाली के अधीन हो गया था | बाद में उसने अपग्रेजों से संधि कर लो और उनंका आश्रित होकर इलाहाबाद में रहने लगा । सन्‌ १५०६ में वह शअेंग्रेजों की पेन खाता हुआ मरा । सन्‌ १८५७ में जो देशव्यापी स्वतंत्रता संग्राम हुआ, उसमे बहदुरशाह ने मी योगदान किया । बाद सें मुगलों के महलों पर. अंग्रेजों का अधिकार हो गया । बहादुर शाह बन्दी बना कर रंगून भेज दिया गया। वहीं सन्‌ १०६२ में उसकी मृत्यु हो गयी । औरंगजेब की भृत्यु के बाद मुगल दरबार में अमीरों के ईर्ष्या-हेष के ` कारण बराबर षडयंत्र चैल स्हे + बड़े-बड़े सरदार और दरबारी तीन गुटों मे ५ টে? श क ৮ লাক किध, 7৯ টি নি तेर धर পি ५ र ॥; द = भ




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