गुनाह के फूल | Gonah Ke Fool

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Gonah Ke Fool by गुलशन नंदा - Gulshan Nanda

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डे कैरियर उठा कर जोर से उसके सिर पर दे मारा। सुशील उसके बोझ के नीचे दवी निरन्तर तड़प रही थी 1 नवीन ने एक वार फिर दिफिन कैरियर उठाया और फिर वही दे मारा । दूघरी चोट पड़ने से उसके प्विर से लह बहने लगा ) बह क्रोघ में छटपटा गया और उठकर एक हो झटके से नवीन को बाथरूम में धकेल कर बाहर से चटकनी लगा दी । सुशील ने उठने का प्रयत्न किया, किन्तु उस निर्दयी व्यक्षित ने उसे पूरे बल से फिर सीट पर गिरा दिया । नवीन भीतर से जोर से चिल्लाये और किवाद खठखटाये जा रहा था बाहर डिब्दे में सुध्नील की चीजें गूंज रही थी और यह सब नीरसे चिल्लाहटे गाडी कौ गदगदाहट मे ईव के रह्‌ गदं । इन्हे निर्जीव दीवारों और खिडकियो के अतिरिवत किसी ने न सुना । थोड़ी देर वाद सुशील की चीख-पुकार धीमी पड गई, फिर सिसकियों मे परिवर्तित होते-होते बिल्कुल मोन हो गई। नवीन बड़ी देर तक दीदी को पुकारता रहा, रोता रहा | उसने भीतर 'दायल&' का दीक्षा भी तोड़ दिया, किन्तु सब अकार्ये | गाडी चलती रही, * घलती रही मानो कुछ हुआ ही न हो 1




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