हिंदी कृष्णकाव्य में प्रिय प्रवास | Hindi Ke Krishan Kavya Men Praiy Pravas

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Hindi Ke Krishan Kavya Men Praiy Pravas by सुरेशपति त्रिपाठी -_Sureshpati Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रावकथन | 15 दा सृजन मे जिन सोता वे माध्यम से प्रिप्रवास की रचना दौ है, उसमे भगवान पुराण, मेघदूत एवं पवनदूत प्रमुख हैं । प्रेरक समसामयिक परिस्थि हिया ण्व मसारो का भौ उल्तेव इस अध्याय मे किया गया है 1 चतुथ अध्याय में अनुभूति के विविध पक्षा-सस्दृति पात्रा एव श्रत के रूपा का विवेवन किया गया है। प्रेम सौन्दय पर विचार करते हुए इसने अभीरस ग्पार्‌ (वियोग पच), बय रमा षौ अभियक्ति तथा वाछाल्य ने मनौर्दनातिव रूप विश्वेषित हैं । श्रीकृष्ण और राधा तथामय पार्तो एव प्रकृति 4 आजम्तन॒उद्दीपन चेतन जवैतने ऋतु प्रथन आदि रूपा था विशद विवेचन है । पचम अध्याय अभिव्यक्ति पल, काब्प खूब भाषा के विविध रूप शब्दशन्कि, मुहावरे तथा लोकाक्तियाँ गुण अलबारा छ दो के विवेचन से सभ्वद्ध है 1 पष्ठ अध्याय मे प्रियप्रवास से प्रभावित प्रमुख दृष्ण काव्य ग्रथा वा विवचन किया है सप्तम अ वराय में क्षण काव्य परम्परा मे रचित “प्रिय प्रवास का शुह्यावन किया गया है । काव्य और उम्तम प्राष्त थ्रोक्ष्ण के स्वरूप का सेम्यक नान नगाष सागर है, जो परम्परा अनादिकाल स पावन घारा के रूप म॑ प्रवाहमान है उस्तम अवगाहुन करना मरे लिए लघु मति मोर चरित अवपाहा के समान है । प्रस्तुत अध्ययन पूज्य प्रो० हरिकृष्ण अवस्थी, प्रा० सूप प्रसाद दीक्षित, प्रो० ज्ञान शकर पाण्डेय, डा० ओमप्रकाश जिवटी डॉ० जशितेद्रनाथ पाण्डेय, ढा० विजयप्रकांश भधिथ, डा० हरिशकर मिथ, डा० रमेशचरर त्रिपाठी प्रगति सुधी मनोषिया को प्रणा का प्रतिफलन है । इस काय की सुहम्पन्नता हेतु मैं गुढवर डा० रामफेर जिपादी का हृदय से कृछज्ञ हें । परोशापरीक्ष झृपेण मुझे जिन अहृद महानुभावा स् किचित्पि सहायता मिली है, तथा अलफ़ा प्रकाशन के सचानक श्रो नरेद शुक्ला जि होने इतने फेम समय मे पुस्तक प्रकाशित की है | मैं उनका हृदय से आभारी हू १ महाशिवरात्रि, 1994 विनयावनते -सुरेशपत्ति न्रिपाठी




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