पश्चिमी जर्मनी की राजनीति एवं प्रशासन | Pashchimi Jarmani Ki Rajneeti Avem Prashasan
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
300
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रसिक वा जूस और विकास 65
था । उसी हत ने समाजाकरण पर वव लिया जिसके परिग्याम स्वरूप बसिक ला के
15ब द्रनुच्छ म यह् पवस्या काग द्रि-- भूमि पकरि घ्याद तया एतानन
के साधना का काबून हारा समाजाकरण क उन्-यक जिए साववनिक स्वामित्र या
सावचनिक नियंत्रित प्रन व्यवस्था का हस्वातस्ति किया था सकता है । बह कानून
मुग्राच्र ~ सह्वाप दे सामा का व्यव्ाया करया । श्य सुआ्रावत क सस्बध भे
14व अनुणः्०झठ का परशिटल ६3) का व्यवस्था बधाचित प्ररिवतत स साथ जागू
हामी +
हम प्रतार बंच्िक ता मे समातवाली লাল দ্য বলা ক শি লা গালনান
मौजूट £।
(ल) দাশক্েলা ৬ প্রথিল भ्रत्यपण् सवा शरण का श्रघिकार-राष्णयाय शाखा
के उतये के साथ ही साथ नागरिकता का सहव ये गया है । नागरिकता के असाव
में “पक्ति रायद्वीत हो चाता है । “सी तब्य वा हृष्टिगत रखता हए बक्षिक ला के
16वें श्रदुच्टल म यहू ग्रत्निकार टिया गया है প্রি विसी भा व्यक्ति का उसकी
जमने सागरिकता से वचित नहीं किय्रा जाएगा । नागरिकता का समाप्ति कानुत के
श्रनयते नया उस व्यक्ति वी रच्छा क दिगद्ध तमी हा खबला है चंद नागरिकता का
अत हान से यह शायद्टान नहा हां ठाता | প্রন্য হী নহ্য साथ हा यह व्यवस्था
भा का गई है कि कमी जरा उसमे का विलश मे গয়োণিন नन्या किया বাচা
साथ हा यह व्यवस्था भा ” कि राजनातिक काराणया জ ঘাল্নি জলি বাসন্যা
प्राप्ति का प्रशिक्रार है चाह बह 'यक्ति किसा भी दा वा निवासा हा ॥
(चर) याचिका प्रल्तुत करो का प्रधिकार--प्रन्ता शिक्रायता तथा श्रमुव्रिधाना का
हर बरत के जिए प्रयक्ष तमत का अधिक्रार है प्रि वह सम्बद्ध अधिकारियों तथा
লমশান समाग्री रू समत याचिका प्रस्तुत कर सक्ष । अनुच्छत 18 में बहा रा
रै--प्रयत व्यक्ति का व्यन्तिमच रूप स या दूसरा ত্র শান লুল ল্য ন শিলিল
प्रवेल्न या शिकायत प्रस्तुत करन का ग्रछियार है। ग्रावटन सम्पद्ध प्रथिशारियां
लया समहीय कया के सम्मुख प्रा किया जा सकता है ।
(छ) मूत्र श्रषिद्वार छीतता ग्ट विणयदगाश्राम न्यनि क मूतर श्रविकाा
से वंचित किया ता सकता है| ग्रजनहतल 18 में कहा गया है क्रि--जा कार व्यति
स्वसत्र जबतात्रिक व्यवस्था से सधप करने के जिए पते “'यतत बरन को स्वचन्ता---
লাম বার समाचार पत्र की स्वतवता (श्रतु 7 5 का परिच्छ 1) वरना > श्रव्यापन
थी स्वलश्रता (प्रवा 5 क् 3) सना कटः का स्दनत्रना (ग्रनुररर 8) मध निमागं
वा स्दनेदना शत् = 9) दकि ददर मच्धार पप्नायठाकी म्वनत्रना श्रतु
10) मण्पति नुग 14) या शरण रानि ठ श्रपिक्रार (प्रनटः 16 का परिल
(0) ) वा दू प्रयाग बरता है “सत्र ये प्रविकार गन লিহ বাহন । পলা ললালি
नया ~मकी माम क वारम गधा म-्यनिर -यायातय निय वा न्प्र
হয়ো ।
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