गांधी साहित्य गीता - माता भाग - 3 | Ghandhi Sahitya Gita - Mata Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
580
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गीता-बोध
पहला श्रध्याय
मंगलप्रभात
११-११-३०
पांडव और कौरवोंक अपनी सेनासहित युद्धके
मेदान क्रुक्षेत्रमें एकत्र होनेपर दुर्योधन द्रोणाचार्यके
पास जाकर दोनों दलोंके मुख्य-मुख्य योद्धाओंक बारेमें
चर्चा करता हैं । युद्धकी तेयारी होनेपर दोनों ओरके
गंख बजते हें और अर्जुनक सारथी श्रीकृष्ण भगवान
उसका रथ दोनों सेनाओंके बीचमें लाकर खड़ा करते
हे । अर्जुन घबड़ाता है और श्रीकृष्णसे कहता है कि
में इन लोगोंसे कैसे लड़ ? दूसरे हों तो में तुरंत भिड़
सकता हूं । लेकिन ये तो अपने स्वजन ठहरे । सब
चचेरे भाई-बंधु हें। हम एक साथ पले हें। कौरव
ओर पांडव कोई दो नहीं हैं। द्रोण केवल कौरबोंके
ही आचार्य नहीं हैं, हमें भी उन््हींने सब विद्याएं सिखाई
हैं। भीष्म तो हम सभीक पुरखा हैं। उनके साथ
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