दिनकर के काव्य में क्रांतिमंत चेतना | Dinkar Ke Kavya Me Krantimant Chetana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की आखें, हारे का हरिनाम मृत्ति तिलक बुम्क्षेत्र, रश्मिरथी, उवशी।
काव्य रूपात्मक प्रयोग स्वातत्य--बवुरुक्षेत्र रश्मिस्यी उवश्ञी आदि।
भापात्मव' सरचना কা स्वरूप --तनमव भौर देगज शब्दा का प्रयोग ,
तपम गदो का प्रयोग विदेशी गत प्रयाग--उट् शब्नवनी, मग्रेजी
श~लवती, यजना का प्रयोग | शिल्प सरचना के अ-य तत्व--अलवार-
याजन मूमनी मवस्तुत योजना व्यतिरेक অলক पयायोषिन
अलकार अपति अलकार उल्लेख अलकार, अतिश्योक्ति अलकार,
आरि । छद योजना म प्रयोगगीलता जादि । निष्पप |
उपसहार ৮7155
अध्ययन के निष्क्प, उपलधिया और सम्मावनाएं
ग्रवानुकप्रणिका १५१-१५४
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