सुन्दर ग्रंथावली भाग 2 | Sundar Granthawali Vol. 2

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Sundar Granthawali Vol. 2 by सुन्दरदास जी -Sundardas Jiहरिनारायण वर्मा -Harinarayan varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) पद द १५--राग सिधूडोः-- ( १) दादू सूर सुभद दृ धंभण (२) सोई सुर बौर स्राव॑ंत्त सिरोमनि (३) द्र दट आई जुडे धरणी पर ( ४ ) तडफड़े सूर नीसान घाई पड ( ^ ) महा सुर तिन कौ जस गा द--राग सोरटः- (१) एसो तं जुम कियो गढ़ घेरी (२) भाजं कादर भिडि भारथ साम्दौ (३ ) सोई गाढरे रण रावत वांको ( ४ ) जो कोई सुने गुरु की बानी ( £ ) मेरा मन राम सो छागा ( ६ ) ऐसी योग युगति जब होई ( ७ ) हमार साहु रमइया मोटा (८ ) देखह साह रमइया ऐसा (६ ) मोहि सतगुरु कहि समुमाया हो ( १० ) मेरे सतगुरु बड़े सयाने हो ( ११ ) उस सतगुरु की बलिहारी हो . (१२ ) सोई संत भल्ता मोहि छागे हो ( १३ ) वें संत सकट सुखदाता हो ( १४) भाई रे सतगुर कदि समुकाया ( १९ ) भाई रे प्रगल्या ज्ञान उज्ञाला ( १६ ) सब कोऊ भूलि रहे इहिं बाजी




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