संचार माध्यम एवं साहित्य के अन्तर्संबन्ध का विवेचन | Sanchar Madhyam Avam Sahitya Ke Antarsambandh Ka Vivechan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about योगेन्द्र प्रताप सिंह - Yogendra Pratap Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शुरुआत राजा राम मोहन राय ने की जो भारतीय भाषाई पत्रकारिता के जनक भी कहे जाते हैं ॥।
कलकत्ता से प्रकाशित एवं पंडित युगुल किशोर शुक्ल द्वारा संपादित उदंत मार्तण्ड (1826 ई.) हिन्दी
का प्रथम समाचार पत्र है।
चलचित्र
पत्रकारिता के बाद अगले संचार माध्यम के रूप मेँ फिल्म कौ शुरुआत 7 जुलाई सन् 1896 ई,
को हुई जब फ्रांस के ल्यूमिअर बन्धुओ ने वम्बई के वारसन होटल मे पहली बार फिल्म प्रदर्शन किया।
इस फिल्म प्रदर्शन कौ सफलता से प्रभावित होकर जनवरी 1897 से विदेशी फिल्मों के प्रदर्शन का
सिलसिला भारत यें प्रारम्भ हो गया! हरिश्चन्द्र भाटवादेकर प्रथम भारतीय फिल्म निर्माता के रूप में
उभरे।
भारतीय कथानक पर आधारित पहली फिल्म पुण्डलीक थी जिसे आर जी तोरणे ने एन सी.
चित्रा के सहयोग से तैयार किया था। सबसे पहते यह फिल्म 18 मई 1912 ई. को बम्बई में प्रदर्शित
हुई। यह फिल्म महाराष्ट्र के एक संत पुण्डलीक के जीवन पर आधारित थी। भारतीय चलचित्र के
इतिहास में दादा साहब फाल्के का महत्वपूर्ण स्थान है। इन्हे भारतीय फिल्मों का पिता कहा जाता है ॥2
सन् 1930 में भारतीय फिल्मों में संगीत का प्रयोग शुरू हुआ और 1931 से सवाक् फिल्में निर्मित होने
लगी। मृणाल सेन के ' भुवनसोम ' से कला फिल्मों की शुरुआत हुई जिसे ' समानान्तर सिनेमा ' नया
सिनेमा' अथवा ' न्यू बेव फिल्म ' के नाम से जाना जाता है।
इलेक्टानिक माध्यम - रेडियो, टेलीविजन
बीसवीं सदी के प्रारम्भ मे मैक्सवेल, हट्र्ज ओर मारकोनी के अथक प्रयासों से विद्युत
चुम्बकीय तरगों ओर रेडियो संचार का आविष्कार हो चुका था। इलेक्टरानिकौ के अन्य जटिल
आविष्कार ने आधुनिक संचार माध्यमों कौ आधारशिला रखी । प्रारम्भ में विक्चान के इनं आविष्कार का
इस्तेमाल तृफानों में फसे नाविक प्रायः अपनी सुरक्षा को पुकार अन्य लोगों तक पहुँचाने के लिए करते
थे। मानव धीरे-धीरे इनके उपयोग की अन्य विधियो भी सोचने लगा। ध्वनि तरगों को पुनः विद्युत
चुम्बकीय त्रंगो में तथा विद्युत तरंगों को ध्वनि तरंगों में परिवर्तित करके अनेक प्रयोग किए जाने लगे।
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