ग्राम्य अर्थ-शास्त्र | Graamya Arth-Shastra

Graamya Arth-Shastra by पं दयाशंकर दुबे - Pt. Dyashankar Dubeश्री शंकरसहाय सक्सेना - Sri Shankarsahay Saksena

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पं दयाशंकर दुबे - Pt. Dyashankar Dube

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श्री शंकरसहाय सक्सेना - Sri Shankarsahay Saksena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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17050806101, ( খিন্বা ) १५२-१४८ 1১901981001) ( मनोरंजन ) १६०-१६६ एश्णाबो 1एश1०16 100. 205 [077०9 16४ ( स्वास्थ्य रक्षा श्रोर उसके ठिद्धान्त ) १६७-१७६ (2006 [770010718 ( पशु पालन ) १७६- १८८ &हपतपाप्पाथ्‌ चण्‌ (ककत 10010709206]25 ( खेती और पशुओं की उन्नति १८८-२१० [1810188 ( प्रुकदमेबाजी ) २११.-२१४ 1०4४६470 688 ध 118 020868 200 760९0168 ( ग्रामीण কল, उसके कारण श्रोर उसके कम करने क उपाय ) २१४-२२५ ড11525 200. 01560106 20001771508010], ( आम शरोर जिते का शासन ) २३३-२३७ 151801090, 0? 075 ৮111589109০] 109৮%629 07900861568 ( गाँव वालों का पारस्परिक संत्रंध ) २४१-२४८ ५४1४0 01) 2,00011)157:005 0880978 ( गाँव वालों को सरकारी अफसरों से संबंध ) * २३२३-२४१ 3 8802 40078 2200. 1১910 1001)01024009 |. 0021 87688 ( गाँव की संस्थाएँ और उनका महत्व ) २४४-२४१ 2007088785 2000. 09017 £07001028 (पंचायते' ओर उनके कार्य ) २४४-२४८ (0 07९70407 ( सहकारिता ) २७६-२९१ 0০ 01997:৮05 दाल्वा ४ 806 €163 ( सहकारी साख. समितिर्यो ) २५४०-२ २१ एलागाबएए.. बटुएंएप्रोएपा्को कवी। 00-07097:201% 89৫196198, 05617 02827-20100. ৪:00. 00 800. 90508৪17019 ( प्रारम्मिक कृषि लहकारी साख समितियाँ, उनकी व्यवस्था और कार्य ) २४.१-२६ १




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