विश्व का राजनैतिक भविष्य | Vishrv Kaa Raajanaitik Bhavishhy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९१९३ ) जिस “संसार-संकट लेखमाला के साथ दो चार दूसरे लेखों को मिलाकर विश्व का राजनेतिक भविष्य” पाठकों के समक्ष पुस्तक के रूप में जाने वाला है उसे मेने गौर से पढ़ा । समूची पुस्तक एक लम्बी मुद्दत को विश्वव्यापी राजनीति का तकं-युक्त पूण विशद्‌ विश्लेषण है। दरअसल स्वर्गीय परिडित कृष्णकान्त जी मालवीय के इन लेखों से साफ मज्ञकता है कि वह राजनीति का अध्ययन एवं अन्तरोष्ट्रीय घटनाचक्रों का विश्लेषण तह में पैठकर करते थे, फलत: निष्कष निकालने में कमाल करते थे, यह बात यह लेखमाला पुकार-पुकार कर कह रही है। विश्व को राजनोति पर जिनको ग्रृध्र-दृष्टि हो, जो उसका अनुगप्तनन तथा अ्रध्ययन बुद्धिपूवक करते हों, इस मामले में जिनकी दृष्टि काफी पेनी एवं अ्रन्तगोमिनी हो, जिन्होंने इतिहास का मन्थन मनोयोग- पूवेक अपनो प्रखर प्रतिभा से किया हो ओर जिन्हें इस विषय में पूरा चस्का हो, पूरी लगन हो वही उन राजनीतिक भविष्य- वाणियों को कर सकते हैं जो इस लेखमाल्ा में पाई जाती हैं । द्वितीय महायुद्ध से ठोक बीस साल पूवं इसके बारेमे मनीषी जेखक ने भविष्यवाणी की थी जो सही निकलों। घटनाचक्रों के आधार पर उनने जो परिणाम बहुत पहले निकाले थे वे तुले तुलाये साबित हुए। यों ब्योरे की बातों में एकाघ फक हो यह वात जुदी है। उन्होंने तो खुद कबूल किया है कि वैसी भविष्यवाणी तो ब्रह्मा भी नहीं कर सकते । इसलिये सुदूर भविष्य को भेदन करके उनकी दृष्टि ने पहले से ही जो घटना- चक्र को देख लिया है वह बेशक कमाक् की चीज है और किसी भी निष्पक्ष पाठक को उस पर मुग्ध हो जाना पड़ता है। हम भारतीयों का कया कत्तव्य हे जिससे हम आज़ाद हो আর্থ यह बात उनने पग-पग पर बताइ है। मंत्रिपद ग्रहण एवं




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