मुस्लिम देश भक्त | Muslim Desha Bhakt

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Muslim Desha Bhakt by रतनलाल बंसल - Ratanlal Bansal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इजरत शाट वली उल्लाह कको अपना मामूलवनाले तो उसका बोभक्तौम क कारीगर तनकरात ( श्रेणियों ) पर इतना तरढ जावेगा कि सेसाइटी का बड़ा हिस्सा ইনানী जैसी जिन्दगी बमर करने पर मजबूर दे! जावेगा। इन्सानियत के इज्तमाई इसख़लाक़ ( सामूश्कि सदाचार ) उस वक्त बरब्राद हे जाते हैं জন किसी जब्र से उनके इ क्रमादी ( माली) संगी पर मज्बूर कर दिया जाय | उस वक्त लोग गधों ओर बैलों की तरद्द *फ़ रोटी कमाने के लिये “प्त करेंगे ओर जन्च इन्सलानियत पर ऐली मुसीबत आती है तो खुदा इन्‍्लमियत के इस मुर्साबत से निज्ञात (छुटकारा ) दिलाने के लिये कोई रास्ना जरूर इल म करना ( सुक्ाता ) है, यानी ,जरूरी है कि कुदरत इलाव्या ( ईश्वरी शक्ति ) इन्क़ वाभ के सामान पेदा करके कोम के मनसे उस बेज हकूमत का बोम, उतार ই |?इन जुम नों को पढते वक़्त यह याद रखना প্রা ये कि तचत यूरोप में न कालमाक्स पैदा हुआ था ओर न सोशलिज्म ( समाजवाद ) की कोई तहरीक चली थी |शाह 1 1उन्नाह चादते ये कि आम लोग आगे बढ़े और हिन्दुस्तान में एक जमहूरी ( जनता की ) हुकूमत कायम को जाय । एक खगह उन्दने लिखा है क्रि--सलतनत का शीराज़ा बिखर चुका हे (जोड़ दीले हो चुके हैं) और मग़लिया मलतनत में ,कैसगे कमरा ( ह्यन शरोर रोम के सम्रा्ों ) वी सा ख़राजियां वैध हो ই ই | হত लिये मस्लेहत खुदावन्दी ( ईश्वर को इच्छा) यही है कि इस निजाम को सिरे से तोड़ दिया जाय ॥कुरान शरीफ का तरजुमाआम लोगों में सन्‍धची मज़दबी ज़िन्दगी लाने के लिये शाह साहब ने कुरान शरीफ का तरजुमा करना शुरू करिया । उस जमाने में पढ़े लिखे मुसलमान अरबी की रिस्त फारसी बहत ज्यादह जानते थे ।




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