पंजाब के नवरत्न | Panjab Ke Navratan
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं रामचन्द्र शास्त्री - Pt Ramchandra Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १ ]
कारागार में - पुरु शोकाकुल बैठा कल्पना के संसार में चक्कर लगा-
रहा था । मुक्ति का पत्र लेकर काराध्यक्ष पहुँचा, पुरु के आश्रय
का ठिकाना न रहा । काराध्यत्त ने सैनिक वेश धरे उर्वशी के साथ
पुरु को विदा किया। .कुछ दूर चलने पर उर्वशी ने अपने सैनिक
कपड़े पुरु को पहिना कर अपना प्यारा घोड़ा जिसका नाम गतः
था सोंपते हुए कहा कि आप असी राज्य-सीमा से वाहर अपनी
राजधानी में चले जाएँ। पुरु ने बैसा द्वी किया जैसा कि उसने
कहा | ६:
सारा कायं समाघ्त.करके उर्वशी महल को लौटी श्रौर शयना-
गार में जाकर लेट गई |. इधर श्माम्भी अपना मनोरथ सिद्ध
जानकर मंत्री के साथ वात-चीत कर रहा था। साथ ही उसने
कई राजाओं तथा मित्रों को पत्र भी लिख दिये कि आज से में मद्र-
देश का सम्राट हूँ। किन्तु सेनापति ने आकर समाचार सुनाया
कि पुरु को कारागार से मुक्त कर दिया गया। आम्भी अ्वारू
रह गया, पर श्रव क्या कर सकता है । शिकार हाथ से निकल
गया 1 कारध्यत्त को बुलाया गयां उसने राजाज्ञा का लिखा पत्र
दिखाया । आम्भी ने उर्वशी का लेख पहचाना शोर वह অল্প लेकर
उसके वध के लिए उसके कमरे में चला गया। क्रोध के श्रावेश
मे वह् उसकी छाती पर कटार मारना दी चाहता था कनि पुत्रीः
चात्सल्य ने उसके भाव वदल दिये उसने कटार फेकदी, यसी चाकः
पदी । वह् लजना से सिर फुक्राये खड़ी चना याचना सगने लनो
पिता ने वहत शु कटा पर सव व्यथे। टधर राजफुमार एर
तक्तशिला से भाग कर अपनो राजधानी साकल पहुँच गया फीर'
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