दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि | Digambaratv Or Digambar Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२८ २९ ३० ३९ ३२ ३३ ३४ ३५ ३६ ३७ ३८ ३९ ४० ४१. ४२ ४३ ट ४५ 1 ४७ ४८. भम०-भगवान महावीर, ले बा कामतप्रमाद जैन (सूरत २४५५) भमबु--भगवान महाबीर और म. बुद्ध, ले.वा. कामताप्रसाद जेन (सूरत, २४५३) भमी भटारक मीमासा (गुजराती) (सूरत, २४३८) আহ भारतवर्ष का इतिहाम, प्रो ईउवरीग्रसाद कृत (इण्डियन प्रेस)। भाप्रारा>- भारतवर्ष के प्राचीन राजवद, सा. श्री विश्वेश्वरनाथ रेउ कृत भाग १०३ (बम्बई, १९२० व १९२५)। मजेई--पराठी जैन लोकाचे इतिहास, श्री अनन्ततनय कृत হলনা १९१८ ई) मनञ्ड्िम, -मन्िमनिकाय (নীল ঘথ), (811 185 50015195011) मप्राजेस्मा-मध्यप्रातीय जैन स्मारक, ब्र ज्ीतलप्रसाद जी कृत (सूरत)। मजेस्मा-मद्रास मैसूर प्रान्तीय जैन स्पारक, ब्र. शीतलप्रसाद जी कृत (सृग्त २४५४)। मूला०-पूलाचार, श्री वट्टकेरस्वामी कृत रश्राण~रलकरण्डक श्रावकाचार, स श्री जुगलकिश्ोर मुख्तार (माग्र बम्बई, १९८२)। राइ«-राजपूताने का इतिहास, रा.व. गौरीशकर होराचन्द ओझा (अग्रसर १९८२)। लाटी--लाटीसहिता, श्री प. दरबारीलाल द्वारा सपादित (মায় লহ্বহ १९८४)। নিতে -विद्वद्‌रलमाला, श्री नाथूराम प्रेमी कृत (बम्बई १९१२ ई.)। विको० -विङवकोष, स श्री नगेनद्रनाथ वसु (कलकत्ता) वृजैश०-वृहत्‌ जेन शब्दार्णव भरा १, ले. श्री वा विहीलाल जी च॑तन्व (वारावकी, १९२५ ई )। वेज वेद पुराणादि प्रथो पे जैनधर्पं का अस्तित्व, श्री मक्खननन ङ्न (दिल्ली, १९३०) सजै- सनातन जैन धर, श्री चम्पतराय कृता सागार-सागार धर्मापृत, स श्री लालाराम जी (सूरत, २४४२) सप्राजैस्मा-सयुक्तप्रान्तीय जैन स्मारक, श्री ब्र जीवलप्रमाद जी कृत । गग १९२३)। सूस०-सूरीहवर और सम्राट, ले.श्री कृष्णलाल (आगरा, १९८०)। हिगम्बतत्व आर दियस्‍्कर गुर 7 इका




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