काव्य प्रकाश | Kavya Prakash

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kavya Prakash by श्री मम्मटाचार्य - Shri Mammatacharyaहरिमंगल मिश्र -Harimangal Mishra

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

श्री मम्मटाचार्य - Shri Mammatacharya

No Information available about श्री मम्मटाचार्य - Shri Mammatacharya

Add Infomation AboutShri Mammatacharya

हरिमंगल मिश्र -Harimangal Mishra

No Information available about हरिमंगल मिश्र -Harimangal Mishra

Add Infomation AboutHarimangal Mishra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्राकथन सेशक्रिसी मे नहीं मिलते । इसी कारण से इन লর্নীল সক্কাহাল অন্যা के भासरचित होने में सन्देह*होता है । काव्यप्रकाश के अतिरिक्त 'शब्द-व्यापार विचार! नाम की एक ओर पुस्तक भी मम्मठट भट्ट विरचित देखने में आती है। उनकी लेखनी यन्त प्रौढ़, गम्भीर ओर ङ्गि्ट विषयों को भी श्रत्यन्त संचचिप्त शब्दों मे लिखने के लिये समर्थ थी। काव्यप्रकाश सदश बृहद्‌ ग्रन्थ की तुलना में 'शब्द-व्यापार विचार? एक बहुत छोटी-सी पुस्तिका प्रतीत होती है । | भीमसेन जी दीक्षित ने स्वरचित सुधासागर नामक काव्यप्रकाश' की टीका में मम्मट भ्रद्द जी को कश्मीरी जैयड परिडत का ज्येष्ठ पुत्र लिखा है। और केयट तथा उच्बठ को मम्मठ का कनिष्ठ भ्राता बतलाया है | इनमे से केयट तो पतञ्जलि विरचित व्याकरणं महाभाष्य के टीकाकार हैं ओर उव्वट ने श्रवन्तीपुरी मे राजा भोजकी अधीनता मे निवास करके बाजमनेयी सहिता (शुक्ल यजुवद) का भाष्य रचा । भाष्य की समासि मे उव्वट ने श्रपने को वञ्जट का ঘুল লিজা हे । श्रतएव सन्देह होता है कि जैयट ही का नामान्तर वञ्रट है| अथवा वज्ट जैयट के सगोत्र ही कोई और व्यक्ति हैं; जिनके पुत्र को जैय> ने गोद ले लिया हो अथवा ये उव्बट जैयठ के पुत्र से भिन्न ही कोई व्यक्ति हो, इत्यादि । कु लोगों का श्रनुमान है कि मम्मट भट्ट जी शेव मताुयायी थे । ये उच्चकोटि के वैयाकरण श्रौर दर्शनादि शास्त्रों के पारद्गत तो थे ही, परन्तु साहित्य मे इनके असाधारण ज्ञान का परिचायक काव्यप्रकाश नामक अद्वितीय अन्य ही है। कीव्यप्रकाश के तीन अश है । ---(१) कारिका वा सूत्र (२) वृत्ति ओर (३) उदाहरण के श्लोक। इनमे से उदाहरण के श्लोक तो प्रायः अन्य कवियों के रचित है, जिनमे से बहुतेरे ग्रन्थकारों का ऊपर उल्लेख हो चुका है। कतिपय श्लोकों के विषय में पता नही. चलता कि ये किसके रचे और किस भश्रन्थ से उद्धृत किये शये हैं। तथापि प्रायः




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now