पाश्चात्य दर्शन का इतिहास आधुनिक युग | Paschatya Darshan Ka Itihas Aadunik Yug
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बेकन छः
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परमाणुओं के पृथकत्व ओर परमत्व कौ रक्ता सम्भव नहीं परन्तु हमे स्मरण
रखना होगा कि बूनो कोई युक्ति-सिद्ध सम्पूर्णांग दर्शन की रचना नहीं कर गये.
हैं, उन्होंने केवछ इसकी भित्ति की स्थापना की है ।
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দাল্িজ बेकन ( 11८15 82000 1561-1626 )
[ बकन का जन्म सन् १५६१ ई० मे लन्दन शहर में हु था। केम्ब्रिज
के दिनीटी कालेज में प्रवेश कर तीन वर्ष अध्ययन करने के बाद, पाठ्यक्रम
तथा शिक्षा-पद्धति के प्रति बेकन की अश्चद्धा हो गई। उसी समय उनके
मत में यह बात आई कि शब्दों को छेकर निरर्थक तके करने से दर्शनशास्त्र
की उन्नति की कोई सम्भावना नहीं । जब तक मनुष्य का सन ज्ञान से आलो-
कित नहीं होगा, तब तक दर्शन की कोई सार्थकता नहीं है । अठरह অর কী
आयु में पितृहीन होकर बेकत को दरिद्रावस्था का भोग करना पड़ा।
परन्तु सहायहीन अवस्था सं भी अयने अध्यवसाय ओर उच्याकाक्चाकेकारण `
वह हताश नहीं हुए । वकालत के पेशे से बेकन ने धीरे-धीरे ख्याति प्राप्त की
` ओर ईसं वषं की अवस्था में वह पालियासेंट के सदस्य हो गये । बेकन
: की कार्यशक्ति असाधारण थी। वह॒ एक भुवक्ता, क्षमताशील लेखक
तथां वैज्ञानिक ज्ञान-विस्तार के पथ-प्रदशक थे । उनके पाण्डित्य ओर कार्य-
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