देश देश के लोग | Desh Desh Ke Log
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
285
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पृथ्वीके भाग २
२ प्रथ्वीके भाग
पथ्वीके सभी भाग एक जैसे नदी हैं । कीं सपाट मेदान हैं
ओर कहीं ऊँचे ऊँचे पर्वत । कहीं बीरान मरुस्थल हँ तो कहीं घनी
बस्तीके शहर । कई जगह भयंकर गर्मी है और कई जगह भयंकर
ठंड । कहीं वर्षा ही नहीं होती और कहीं हमेशा मूसठधार मेहं
बरसता है ।
छोटे मोटे भेदोंकों ध्यानमें रखनेकी हमें जरूरत नहीं, पर किन्हीं
खास कारणोंसे पृरथ्वीके जो स्थूरं विभाग बन गये हे, उन्ीपर हम
विचार करेगे ।
पृथ्वीको प्रकाश और गर्मी सूर्यके द्वारा मिलती है । पूर्वको यदि
गर्मी न मिलती तो पेड़, पशु और मनुष्य प्रथ्वापर न जी सकते।
दोपहरको बारह बजे सूर्य हमारे सिरपर आया हुआ दिखाई देता है।
सबेरे जब सूर्य पूर्वमें क्षितिजके पास उगता हुआ दिखाई देता है,
उस समय उसकी किरणे प्रथ्वीपर तिरछी पडती है; इसठिए, उस
समयकी धूप कोमल होती हे । पर, ऊँचा चदनेपर जब वह दोपहरको
आकाशमें ठीक हमारे सिरपर होता है तब उसकी किरणें प्रथ्वीपर
सीधी अथवा हरूम्बरूपमें पड़ती हैं । इसलिए, उस समयकी धूप तेज
होती है | वहाँसे पश्चिमकी ओर जाते हुए पश्चिमी क्षितिजके नीचे
सूर्य अस्त होता हुआ दिखाई पड़ता है । किन्तु, प्रृथ्वीके सब भागोंमें
दोपहरको सूर्य इस तरह सिरपर दिखाई नहीं देता । बहुत-से भागोंमें
वह क्षितिजसे बहुत ऊँचा नहीं आता ।
आगेका चित्र देखो | इस चित्रमें०से जो रेखा प्रथ्वीके बीचोंबीच
खींची गई है वह पृथ्वीका मध्यभाग ह । एसी कोई रेखा
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