देश देश के लोग | Desh Desh Ke Log

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पृथ्वीके भाग २ २ प्रथ्वीके भाग पथ्वीके सभी भाग एक जैसे नदी हैं । कीं सपाट मेदान हैं ओर कहीं ऊँचे ऊँचे पर्वत । कहीं बीरान मरुस्थल हँ तो कहीं घनी बस्तीके शहर । कई जगह भयंकर गर्मी है और कई जगह भयंकर ठंड । कहीं वर्षा ही नहीं होती और कहीं हमेशा मूसठधार मेहं बरसता है । छोटे मोटे भेदोंकों ध्यानमें रखनेकी हमें जरूरत नहीं, पर किन्हीं खास कारणोंसे पृरथ्वीके जो स्थूरं विभाग बन गये हे, उन्ीपर हम विचार करेगे । पृथ्वीको प्रकाश और गर्मी सूर्यके द्वारा मिलती है । पूर्वको यदि गर्मी न मिलती तो पेड़, पशु और मनुष्य प्रथ्वापर न जी सकते। दोपहरको बारह बजे सूर्य हमारे सिरपर आया हुआ दिखाई देता है। सबेरे जब सूर्य पूर्वमें क्षितिजके पास उगता हुआ दिखाई देता है, उस समय उसकी किरणे प्रथ्वीपर तिरछी पडती है; इसठिए, उस समयकी धूप कोमल होती हे । पर, ऊँचा चदनेपर जब वह दोपहरको आकाशमें ठीक हमारे सिरपर होता है तब उसकी किरणें प्रथ्वीपर सीधी अथवा हरूम्बरूपमें पड़ती हैं । इसलिए, उस समयकी धूप तेज होती है | वहाँसे पश्चिमकी ओर जाते हुए पश्चिमी क्षितिजके नीचे सूर्य अस्त होता हुआ दिखाई पड़ता है । किन्तु, प्रृथ्वीके सब भागोंमें दोपहरको सूर्य इस तरह सिरपर दिखाई नहीं देता । बहुत-से भागोंमें वह क्षितिजसे बहुत ऊँचा नहीं आता । आगेका चित्र देखो | इस चित्रमें०से जो रेखा प्रथ्वीके बीचोंबीच खींची गई है वह पृथ्वीका मध्यभाग ह । एसी कोई रेखा




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