भारत के राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा दिये गये महत्वपूर्ण सन्देश | Bharat Ke Rashtrapati Rajendra Prasad Dvara Diye Gaye Mahatvapurn Sandesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
38
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आज भारत के सभी प्रदेशों और राज्यों में यूनीवर्सियियां बन गई हैं
और कुछ प्रान्तों में तो एक से अधिक बन गई हैं । हमारे प्रान्तो में कुछ न कुछ
विशेषता श्रौर विभिन्नता तो है ही । इन विशेषताओं के कारण बहुत कर के उन
का स्वतन्त्र अस्तित्व भी है। इन यूनीवसिंटियों का कतंव्य होना चाहिये कि
उन विशेष विशेषताओं का अध्ययन करे और बहां बहुमुखी शिक्षा, जो सब
प्रान्तों के लिये आवश्यक हे, देती रहें | वहां विशेषताओं का पर्यौप्त ज्ञान श्रपने
विद्याथियों को देवें और सारे देश के लिये उपलब्ध कर दें। उदाहरणाथ
राजस्थान का इतिहास ले लिया जाये । इस का गौरव पूर्ण इतिहास है और
লিন্ন २ राज्यों के अपने २ इतिहास रहे हैं। इस में अभी न पर्याप्त खोज
हुई है ओर न जहां तक में जानता हू' उपलब्ध सामग्रियों का उचित उपयोग
ही हुआ है। जो राज्य राजस्थान में सम्मिलित हो गये हैं में समझता हू' कि
प्रत्येक के राजभवन में बहुत कुछ सामग्रियां मौजूद ই আ सच्चे विद्याविलासी
अन्वेषकों की बाट जोह रही हैं। यद्वां के ग्राम गीतों में मो इतिहास भरा पड़ा
है। राजस्थान यूनीवर्सिये का यह कतेव्य ओर गौरव होना चाहिये कि इस
महान कार्य में इस के आचाय और विद्यार्थी लग जायें और इस महत्वपूण
इतिहास को सारे भारत के लिये उपलब्ध ओर सुरक्षित बना दें। मैं चाहूगा
कि युनीवर्सियी में पुरातत्व विभाग की केवल स्थापना ही न की जाय उसे योग्य
प्रोत्साहन भी दिया जाय । में आशा करता हू' कि राजध्थान युनीवसिटी का
ध्यान इस ओर जायेगा |
সস এ
१९५१
नागपुर दी मेहतर कोश्रापरेयिव सोसायटी की स्थापना के श्रवसर पर सन्देश ।
(२४-१-५१)
यह सुन्दर विचार है कि मेहतरों की सहकारी संस्था स्थापित की जा रही
है, जिससे कि वे कचड़े को खाद में परिवर्तन करने के काय द्वारा देश के
कल्याण में रचनात्मक अंश दान कर सकेंगे और साथ ह्वी अपनी आशिक
अवध्था में, कितनी ही कम मात्रा में क्यों न हो, सुधार कर सकेंगे । इस
संस्था की सफलता के लिये मेरी पूरी सद्कामनायें हैं ।
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